कानपुर: गंगा की सफाई का जायजा लिया, लौटते समय लड़खड़ाए पीएम मोदी

कानपुर: गंगा की सफाई का जायजा लिया, लौटते समय लड़खड़ाए पीएम मोदी

Bhaskar Hindi
Update: 2019-12-14 17:43 GMT
कानपुर: गंगा की सफाई का जायजा लिया, लौटते समय लड़खड़ाए पीएम मोदी

डिजिटल डेस्क, कानपुर। प्रधानमंत्री की सुरक्षा में लगे गार्ड्स शनिवार को उस समय घबरा गए जब पीएम मोदी गंगा नदी की सफाई का जाएजा लेकर लौटते समय लड़खड़ा गए। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को कानपुर में राष्ट्रीय गंगा परिषद की पहली बैठक में शामिल हुए। इसमें नमामि गंगे परियोजना के अगले चरण और नए एक्शन प्लान पर चर्चा हुई। इसके बाद मोदी ने परियोजना के असर का निरीक्षण करने के लिए अटल घाट पर स्टीमर में बैठकर गंगा की सफाई का जाएजा लिया। इसके बाद लौटते समय घाट की सीढ़ियों पर लड़खड़ा गए। इस दौरान साथ मौजूद एसपीजी के जवानों ने उन्हें संभाला। नौकायन के लिए प्रयागराज से डबल डेकर मोटर बोट मंगाई गई थी।

बैठक में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत, बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी और कई अफसर शामिल हुए।

क्या है नमामि गंगे परियोजना? 

प्रधानमंत्री ने बताया कि उनकी सरकार ने 2014 में नमामि गंगे की शुरुआत की। तब से लेकर अब तक इसके तहत गंगा की निर्मलता को लेकर काफी काम किया जा चुका है। ये सभी काम गंगा को स्वच्छ बनाने, प्रदूषण मुक्त रखने की दिशा में हुआ है। मोदी ने कहा कि अभी भी इस दिशा में काफी कुछ करना बाकी है। इसी उद्देश्य को लेकर राष्ट्रीय गंगा परिषद का गठन हुआ है। प्रधानमंत्री ने बताया कि उनकी सरकार के पहले कार्यकाल में गंगा से जुड़े सभी 5 राज्यों में पर्याप्त जल प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए 20 हजार करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया। इसी तरह गंगा में प्रदूषण जाने से रोकने के लिए शोध संयंत्रों के निर्माण के लिए 7700 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं।

गंगा को निर्मल बनाने को जागरुकता पर जोर 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा को स्वच्छ, निर्मल बनाने की दिशा में जन जागरुकता को जरूरत बताया। उन्होंने कहा कि इसके लिए शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में जागरुकता कार्यक्रम निरंतर चलाए जाने चाहिए। बच्चों, महिलाओं, किसानों सभी को इससे जोड़ने की जरूरत है। खासकर औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले कचरे का शोधन इकाइयां अपने स्तर से ही करें इस पर भी विशेष ध्यान रखने की जरूरत है।

28 करोड़ की लागत से सीसामऊ नाला साफ किया गया 

कानपुर में 128 साल पुराना सीसामऊ नाला एशिया में सबसे बड़ा है। अंग्रेजों ने शहर के गंदे पानी की निकासी के लिए इसका निर्माण किया था। करीब 40 मोहल्लों से सीसामऊ नाले से रोजाना 14 करोड़ लीटर प्रदूषित पानी गंगा में गिरता था। अब नमामि गंगे परियोजना के तहत 28 करोड़ रुपए की लागत से इसे साफ किया गया। इसे डायवर्ट कर वाजिदपुर और बिनगवां ट्रीटमेंट प्लांट में भेजा जा रहा है।

गंगा सबसे ज्यादा कानपुर में प्रदूषित 

2071 किमी भू-भाग में प्रवाहित होने वाली गंगा नदी का कानपुर में पड़ने वाला हिस्सा सबसे अधिक प्रदूषित माना जाता है। कानपुर में होने वाली इस बैठक से सरकार संदेश देना चाहती है कि वह नमामि गंगे परियोजना के प्रति गंभीर है। गंगा और उसकी सहायक नदियों को अविरल बनाना भाजपा के एजेंडे में शामिल है।

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