कभी इंदिरा-नेहरू के कार्टून बनाते थे ठाकरे, जानें ऐसे कुछ किस्से 

कभी इंदिरा-नेहरू के कार्टून बनाते थे ठाकरे, जानें ऐसे कुछ किस्से 

Bhaskar Hindi
Update: 2019-01-23 07:44 GMT
कभी इंदिरा-नेहरू के कार्टून बनाते थे ठाकरे, जानें ऐसे कुछ किस्से 
हाईलाइट
  • बालासाहब ठाकरे की जंयती आज
  • बालासाहब ने महाराष्ट्र की राजनीति में हासिल किया बड़ा मुकाम

डिजिटल डेस्क, मुंबई। शिवसेना के दिवंगत संस्थापक बाल ठाकरे का आज है जन्मदिन। बाला साहेब ठाकरे का जीवन काल काफी उतार-चढ़ाव वाला था। महाराष्ट्र की राजनीति में बालासाहेब ठाकरे ने जो मुकाम हासिल किया है, मुश्किल है किसी को वह मुकाम अब हासिल होगा। 23 जनवरी, 1926 को जन्मे बालासाहेब ने राजनीति को एक नई दिशा दी। 1960 में बाल ठाकरे ने बाहरी राज्य के लोंगो को निशाना बनाकर कार्टून बनाना शुरु कर दिया। फिर 19 जून, 1966 को मराठी हितों की रक्षा के उद्देश्य से शिवसेना की स्थापना की। 17 नवंबर, 2012 को उनका निधन हुआ था। उन्हें लोग प्यार से बालासाहेब भी कहते थे। आइए उनके जन्मदिन के मौके पर जानते हैं कुछ खास बातें। 

कार्टूनिस्ट के तौर पर की थी शुरूआत
ठाकरे ने अपने जीवन का सफर एक कार्टूनिस्ट के रूप में शुरू किया था। पहले वे अंग्रेजी अखबारों के लिये कार्टून बनाते थे। बाद में उन्होंने सन 1960 में मार्मिक के नाम से अपना एक स्वतन्त्र साप्ताहिक अखबार निकाला और अपने पिता केशव सीताराम ठाकरे के राजनीतिक दर्शन को महाराष्ट्र में प्रचारित व प्रसारित किया।

बालासाहब ठाकरे का परिवार
ठाकरे के पिता का नाम केशव सीताराम ठाकरे था। बाला साहेब ठाकरे का विवाह मीना ठाकरे से हुआ था। इनके तीन बेटे है, बिन्दुमाधव, जयदेव और उद्धव ठाकरे। 1996 में पत्नी मीना ठाकरे और बेटे बिंदुमाधव की मौत हो गई।

बालासाहब का राजनीतिक सफर
1947 में आजादी के बाद भाषा के आधार पर कई राज्यों का गठन हुआ। ब्रिटिश इंडिया की बॉम्बे प्रेसिडेंसी का बंटवारा होकर दो राज्य बने। मराठी बोलने वाले लोगों के लिए महाराष्ट्र और दूसरा गुजरात। आजादी के दो दशक बाद उन दिनों की राजनीतिक पार्टियों को यह सुध नहीं थी कि देश में परिस्थिति बदल गई है, प्राथमिकताओं में बदलाव आ गया है। ऐसे में बालासाहेब जैसे तेज-तर्रार आदमी को मैदान खुला मिला। उन्होंने वक्त की नब्ज पर हाथ रखा और पलक झपकते ही राजनीति के फलक पर चमकता सितारा बनकर उभरे। शिवसेना की स्थापना बहुत सादगी से हुई थी। बालासाहेब ने खुद बताया था, सुबह 9.30 बजे के करीब हमारे एक पारिवारिक मित्र नाईक दुकान से नारियल लाए और उसे तोड़ा। फिर छत्रपति शिवाजी की जय का नारा लगाते हुए हमने शिव सेना की शुरुआत की। दरअसल जिस समय शिवसेना की स्थापना हुई थी, उस दौरान बाल ठाकरे का धर्म में कुछ खास लगाव नहीं था। इसलिए उन्होंने यह भी नहीं सोचा कि पार्टी के शुभारंभ के लिए समय शुभ है या नहीं।

क्षेत्रवाद से लेकर हिन्दुत्व
बाला साहेब की राजनीति क्षेत्रवाद से शुरु होकर हिंदुत्व पर पहुंच गई। शुरु में उन्होंने दक्षिण के लोंगो को भगाने का आंदोलन चलाया। जिसके लिए नारा दिया, पुंगी बजाओ, लुंगी भगाओ,। ठाकरे इमरजेंसी के समर्थक बनें। बाला साहेब हमेशा अपनी खरी-खरी, बेबाक बयानों बातों के लिए सुर्खियों में रहते थे। बाला ठाकरे की शख्सियत केवल राजनीति के तौर पर ही नहीं थी, बल्कि उनकी पहचान कला के क्षेत्र में भी मजबूत थी। बाल ठाकरे की दुर्गा पूजा की रैली मुबंई की सबसे चर्चित रैलियों में एक थी। बता दें, ठाकरे की कांग्रेस से कभी नहीं बनी। फिर भी 2012 में उन्होंने राष्ट्रपति के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार प्रणव मुखर्जी का समर्थन किया था। इसके पहले भी उन्होंने प्रतिभा पाटिल का महाराष्ट्र से होने के नाम पर समर्थन किया था। 

हालांकि 2005 में बेटे उद्धव ठाकरे को अधिक महत्व देने के कारण उनके भतीजे राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़ दी और 2006 में अपनी नई पार्टी "महाराष्ट्र नवनिर्माण" बना ली। बॉलीवुड के सरकार मानें जाने वाले ठाकरे पर मुंबई दंगों में शिवसेना की भूमिका पर कई सवाल भी उठे थे। उनका माया नगरी से काफी करीबी का रिश्ता रहा है। एक ऐसा दौर भी था जब किसी भी फिल्म के रिलीज के पहले उनकी हरी झंड़ी ला जाती थी। ठाकरे ने कई बॉलीवुड हस्तियों को अंडरवर्ल्ड के डॉन दाऊद इब्राहिम खौंफ से भी बचाया।


 

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