डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती ने दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। मुलाकात का मकसद राज्य के विशेष दर्जे आर्टिकल 35A के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर मामले पर चर्चा करना है। इससे पहले मुफ्ती ने गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से भी मुलाकात की थी। इस आर्टिकल के तहत भारत का कोई नागरिक ना तो जम्मू-कश्मीर में संपत्ति खरीद सकता है और ना ही स्थाई नागरिक बनकर रह सकता है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक मुफ्ती ने राजनाथ सिंह से मुलाकात कर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का रुख जानने की कोशिश की थी। वो जनना चाहती थीं कि आखिर केंद्र सरकार कोर्ट में किसके पक्ष में बात रखेगी।
गौरतलब है कि कोर्ट में इस आर्टिकल से जुड़ी एक PIL पर सुनवाई चल रही है। राजनाथ ने मुफ्ती को इस मसले पर स्थिति साफ करते हुए कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक ये एक प्रक्रियात्मक मुद्दा है, ना कि मूल मुद्दा इसलिए अटॉर्नी जनरल इसके कानूनी पहलू पर ही राय देंगे जो कि संविधान में लिखा है।
क्यों चिंतित हैं मुफ्ती?
सीएम मुफ्ती चिंतित हैं क्योंकि अगर इस आर्टिकल से छेड़छाड हुई तो इसका असर घाटी की राजनीति के साथ-साथ जनसंख्या पर भी पड़ेगा। दरअसल इस आर्टिकल 35A एक संवैधानिक प्रावधान है जो जम्मू-कश्मीर को इस बात की इजाजत देती है कि वो अपने स्थाई नागरिकों की परिभाषा खुद तय कर सके।
SC ने केंद्र सरकार से उसकी राय धारा 370 के बारे में भी मांगी है। भारतीय संविधान की बहुचर्चित धारा 370 जम्मू-कश्मीर को कुछ विशेष अधिकार देती है। 1954 के जिस आदेश से आर्टिकल 35A को संविधान में जोड़ा गया था। वो आदेश भी अनुच्छेद 370 की उपधारा (1) के अंतर्गत ही राष्ट्रपति ने पारित किया था।
किसने दायर की PIL?
दिल्ली की एक गैर सरकारी संस्था "वी द सिटिजंस" ने SC में इस आर्टिकल के खिलाफ PIL दायर की है और मामले में केंद्र सरकार ने पिछले महीने कहा था कि इस आर्टिकल को असंवैधानिक करार देने से पहले इस पर चर्चा की जरूरत है। याचिकाकर्ता संगठन का कहना है कि 1954 में राष्ट्रपति ने इस आर्टिकल को शामिल करने के लिए संविधान में संशोधन नहीं किया था। बल्कि ये सिर्फ एक अस्थाई बंदोबस्त था।