Moratorium: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा- सरकार लोन न चुका पाने पर किसी पर जबरन कार्रवाई न करें, अगली सुनवाई 10 को

Moratorium: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा- सरकार लोन न चुका पाने पर किसी पर जबरन कार्रवाई न करें, अगली सुनवाई 10 को

Bhaskar Hindi
Update: 2020-09-03 13:00 GMT
Moratorium: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा- सरकार लोन न चुका पाने पर किसी पर जबरन कार्रवाई न करें, अगली सुनवाई 10 को
हाईलाइट
  • मामले के निपटारा होने तक NPA घोषित नहीं किया जाए: कोर्ट
  • सरकार ने दो साल मोरेटोरियम बढ़ाने के संकेत दिए
  • हमने ब्याज माफ नहीं करने का फैसला लिया: सरकार

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय गुरुवार को लॉकडाउन के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से दिए गए लोन मोरेटोरियम (यानी लोन चुकाने की अवधि टालने) को आगे बढ़ाने और ब्याज में छूट देने की याचिकाओं पर सुनवाई की। कोर्ट ने मामले में लोगों को अंतरिम राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर अगस्त तक कोई बैंक लोन अकाउंट NPA घोषित नहीं है तो उसे अगले दो महीने तक भी NPA घोषित न किया जाए। मामले में अगली सुनवाई 10 सितंबर को होगी। आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां काफी महत्वपूर्ण रहीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार लोन न चुका पाने पर किसी पर जबरन कार्रवाई न करे।

आखिर ये NPA क्या बला है?
पूरे मामले को समझने से पहले ये जान लेते हैं कि आखिर ये NPA बला क्या है। RBI की गाइडलाइन्स के अनुसार अगर किसी लोन की EMI लगातार तीन महीने तक न जमा की जाए तो बैंक उसे NPA यानी गैर निष्पादित परिसंपत्ति घोषित कर देते हैं। NPA का मतलब यह है कि बैंक उसे फंसा हुआ कर्ज मान लेते हैं। ऐसे कर्जधारकों की रेटिंग खराब हो जाती है और आगे उन्हें लोन मिलने में काफी दिक्कत होती है। 

हमने ब्याज माफ नहीं करने का फैसला लिया: सरकार
केंद्र सरकार की तरफ से अदालत में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, हम ऐसा कोई भी निर्णय नहीं ले सकते हैं जो अर्थव्यवस्था को कमजोर कर सकता है। हमने ब्याज माफ नहीं करने का फैसला लिया है, लेकिन भुगतान के दबाव को कम किया जाएगा।

सरकार ने दो साल मोरेटोरियम बढ़ाने के संकेत दिए
लोन मोरेटोरियम पर सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दिया है। सरकार ने यह संकेत दिया है कि मोरेटोरियम को दो साल तक बढ़ाया जा सकता है, लेकिन यह कुछ ही सेक्टर को मिलेगा। केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था कि ब्याज पर ब्याज के मामले पर रिजर्व बैंक निर्णय लेगा।

सरकार ने राहत दिए जाने वाले सेक्टरों की सूची दी
सरकार ने सूची सौंपी है कि किन सेक्टर को आगे राहत दी जा सकती है। सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हम ऐसे सेक्टर की पहचान कर रहे हैं जिनको राहत दी जा सकती है, यह देखते हुए कि उनको कितना नुकसान हुआ है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अब और देर नहीं की जा सकती।

मामले के निपटारा होने तक NPA घोषित नहीं किया जाए
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन बैंक खातों को 31 अगस्त तक नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA) नहीं कहा गया था, उन्हें इस मामले के निपटारा होने तक NPA घोषित नहीं किया जाएगा। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 10 सितंबर तय की है। 

ब्याज माफ करना नुकसानदेह साबित होगा
इससे पहले केंद्र सरकार ने बुधवार को शीर्ष अदालत से कहा था कि अगर ऋण रियायत अवधि का ब्याज माफ कर दिया गया तो यह नुकसानदेह साबित होगा। इससे बैंकों की सेहत खराब हो जाएगी। बैंक कमजोर पड़ जाएंगे, जो कि अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा हैं। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और संकटग्रस्त परिसंपत्तियों का पुनर्निर्माण करने के लिए मजबूत बैंकों का होना आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा था कि विभिन्न प्रकार के बैंक हैं, एनबीएफसी भी हैं।

कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर RBI ने मोरे​टोरियम दिया था
कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर, RBI ने 27 मार्च को एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें कर्जधारकों को तीन महीने की अवधि के लिए किश्तों के भुगतान के लिए मोहलत दी गई थी। बाद में 22 मई को RBI ने 31 अगस्त तक के लिए तीन और महीने की मोहलत की अवधि बढ़ाने की घोषणा की थी। नतीजतन लोन EMI पर छह महीने के लिए ये मोहलत बन गई। 

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा गया कि बैंक EMI पर मोहलत देने के साथ-साथ ब्याज लगा रहे हैं जो कि गैरकानूनी है। EMI का ज्यादातर हिस्सा ब्याज का ही होता है और इस पर भी बैंक ब्याज लगा रहे हैं। यानी ब्याज पर भी ब्याज लिया जा रहा है। इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने RBI और केंद्र से जवाब मांगा था।

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