भागवत के बयान से मुस्लिम संगठन खफा, 'ये सुप्रीम कोर्ट को चुनौती'

भागवत के बयान से मुस्लिम संगठन खफा, 'ये सुप्रीम कोर्ट को चुनौती'

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-25 05:49 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अयोध्या मुद्दा हर दिन अपने साथ एक विवाद को जन्म दे रहा है। कर्नाटक के उडुपी में चल रही धर्म संसद में RSS प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा था कि राम जन्मभूमि पर राम मंदिर ही बनेगा और कुछ नहीं। इस बयान पर सभी मुस्लिम संगठनों ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है। उनका कहना है  कि ऐसी बात कहकर मोहन भागवत ने सुप्रीम कोर्ट को चुनौती दी है। 

ऑल इंडिया मुस्लिम लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने कहा कि भागवत ने ये बयान देकर कानून अपने हाथ में लिया है। उनका यह बयान साफ तौर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना है। वहीं बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के कन्वेनर और वकील जफरयाब जिलानी ने इसे सुप्रीम कोर्ट को चुनौती करार दिया है। उन्होंने कहा कि बोर्ड अदालत के फैसले पर यकीन रखता है लेकिन भागवत का ये कहना कि उस जगह पर मंदिर ही बनेगा यह हमें कबूल नहीं होगा। सरकार को इस बात पर एक्शन लेना चाहिए। ये कानून को अपने हाथ में लेने वाली बात है।

एक बडे अंग्रेजी न्यूज पेपर के अनुसार जिलानी ने कहा है कि संविधान के अनुसार सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च अथॉरिटी है और वो यह तय करेगी कि मंदिर कहां बनना है और कहां नहीं। देश कानून के हिसाब से चलता है और हम सब फैसले का इंतजार कर रहे हैं। भागवत का बयान संविधान और सुप्रीम कोर्ट को चुनौती है।

 

"भागवत माहौल खराब करना चाहते हैं बस"


ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के असदुद्दीन औवेसी ने कहा कि यह माहौल खराब करने की सोची समझी कोशिश हैं। जब मामला सुप्रीम कोर्ट में है तो फिर ऐसे बयान कैसे दिए जा सकते हैं। बता दें कि आरएसएस प्रमुख ने उडुपी में कहा था कि राम मंदिर वहीं बनेगा। इसे लेकर कोई शक नहीं होना चाहिए, वहां वैसा ही भव्य मंदिर बनेगा जैसे पूर्व में बना था।

क्या कहा था मोहन भागवत ने ?


RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि "राम जन्मभूमि पर राम मंदिर ही बनेगा और कुछ नहीं बनेगा और इसे लेकर कोई शक नहीं होना चाहिए, वहां वैसा ही भव्य मंदिर बनेगा जैसे पूर्व में बना था और उन्हीं पत्थरों से बनेगा। उन्होंने आगे कहा कि ये मंदिर उन्हीं की अगुवाई में बनेगा जो इसका झंडा उठाकर पिछले 20 से 25 वर्षों से चल रहे हैं।" इसके साथ ही मोहन भागवत ने गोरक्षा की वकालत करते हुए कहा कि हमें गायों की सुरक्षा सक्रिय रूप से करनी होगी। अगर गोहत्या पर बैन नहीं लगेगा, तो हम शांति से नहीं जी सकेंगे। 

गौरतलब है कि आगामी 5 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर आखिरी सुनवाई शुरू हो जाएगी। 

 


 

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