'जय श्री राम' नारे का बंगाल की संस्कृति से कोई लेना-देना नहीं: अमर्त्य सेन

'जय श्री राम' नारे का बंगाल की संस्कृति से कोई लेना-देना नहीं: अमर्त्य सेन

Bhaskar Hindi
Update: 2019-07-06 03:23 GMT
हाईलाइट
  • 'जय श्री राम' नारे को लेकर बोले नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन
  • इस नारे का इस्तेमाल अब लोगों को पीटने के लिए होता है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में "जय श्री राम" के नारे को लेकर काफी विवाद के बाद अब अमर्त्य सेन ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन का कहना है, श्री राम नारे का बंगाल की संस्कृति से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने ये भी कहा कि, अब इस नारे का इस्तेमाल लोगों को पीटने के लिए होता है।

अमर्त्य सेन ने कहा, आजकल रामनवमी "लोकप्रियता हासिल" कर रही है। कोलकाता में रामनवमी ज्यादा मनाया जाता है। वे पहले बंगाल में जय श्री राम का नारा नहीं सुनते थे। उन्होंने कहा, इस नारे का इस्तेमाल अब लोगों को पीटने के लिए होता है। सेन ने कहा, जय श्री राम नारे का बंगाल की संस्कृति से कोई लेना-देना नहीं है।

अमर्त्य सेन ने ये भी कहा, एक बार उन्होंने अपनी चार साल की पोती से पूछा, उसकी पसंदीदा देवी कौन है? इस पर बच्ची ने जवाब दिया- मां दुर्गा। अमर्त्य सेन ने कहा, मां दुर्गा के महत्व की तुलना रामनवमी से नहीं की जा सकती है। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के दौरान से ही बंगाल में जय श्री राम के नारे को लेकर विवाद चल रहा था। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के बीच इस नारे को लेकर काफी विवाद और हिंसा हो चुकी है। हाल ही में झारखंड के सरायकेला खरसावां में तबरेज अंसारी नाम के एक युवक की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी। घटना की एक वीडियो के मुताबिक, कुछ लोग तबरेज़ से जबरदस्ती जय श्री राम के नारे लगवा रहे थे।

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