असम में नागरिकता को लेकर तनाव, NRC की लिस्ट में 1 .39 करोड़ लोगों का नाम नहीं

असम में नागरिकता को लेकर तनाव, NRC की लिस्ट में 1 .39 करोड़ लोगों का नाम नहीं

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-01 13:02 GMT
असम में नागरिकता को लेकर तनाव, NRC की लिस्ट में 1 .39 करोड़ लोगों का नाम नहीं

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नए साल के जश्न के बीच उत्तर-पूर्वी राज्य असम में सरकार ने नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन की पहली लिस्ट जारी की है। इस लिस्ट के जारी होने के बाद से ही राज्य के लोगों में उम्मीद और आशंका दोनों पैदा हो गईं हैं। बता दें कि नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन राज्य में कानूनी और गैरकानूनी नागरिकों की पहचान के लिए तैयार की गई है। सरकार द्वारा जारी की गई लिस्ट में 1.9 करोड़ लोगों को वैध नागरिक बताया गया है और उन्हें राज्य के नागरिक के रूप में मान्यता दे दी गई है। वहीं राज्य में बाकी बचे हुए 1.39 करोड़ लोगों के नाम लिस्ट में नहीं हैं और न ही सरकार ने इनको लेकर कोई बयान दिया है।

बता दें कि राज्य सरकार की जारी इस लिस्ट में 1.39 करोड़ लोगों के नाम न होने से लोगों के मन में डर और शंका का माहौल है। इसी बजह से पूरे राज्य में तनाव का माहौल पैदा हो गया है। इस लिस्ट के जारी होने के बाद से सोशल मीडिया पर कई तरह की अफवाहें चल रहीं हैं। वहीं सरकार ने बयान जारी कर कहा कि जल्द ही दूसरी लिस्ट भी जारी की जाएगी। सरकार ने यह भी कहा कि वे राज्य में होने वाले किसी भी तरह के तनाव से निपटने की तैयारी कर ली गई है।

नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन के मामले पर केंद्र सरकार का भी पूरा ध्यान राज्य की स्थिति पर है और केंद्र असम सरकार से लगातार संपर्क में है। जानकारी के अनसार असम में सुरक्षाबलों को तैयार रहने और वहां जाकर स्थिति को काबू में रखने के आदेश भी दिए गए हैं। सोशल मीडिया पर आईटी सेल ने निगरानी बढ़ा दी है और अफवाह फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। सोशल साइटो पर चल रहे अफवाह भरे कॉन्टेंट को हटाया जा रहा है। राज्य में 50 हजार मिलिटरी और पैरा मिलिटरी फोर्स तैनात कर दिया गया है। वहीं राज्य सरकार ने राज्य के लोगों को शांति बनाए रखने के लिए कहा है। होम मिनिस्ट्री भी इस मामले पर सरकार के संपर्क में है। केंद्र और राज्य सरकार ने पहले ही आशंका जताई थी कि इस लिस्ट के जारी होने के बाद राज्य में ला ऐंड आर्डर की स्थित खराब हो सकती है।

बीजेपी ने बनाया था चुनावी मुद्दा
बता दें कि असम में बीजेपी ने बांग्लादेशियों के अवैध रूप से रहने के मामले को खूब उठाया था। असम के रहने वाले लोगों का मानना है कि अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिक उनके अधिकारों को छीन रहे हैं। इसको लेकर दोनों के बीच संघर्ष और तनाव भी खूब रहा है। ऐसे में बीजेपी ने 2016 विधानसभा चुनाव इसी मुद्दे पर लड़ा। असम में बीजेपी ने 15 साल पुरानी कांग्रेस की सरकार को उखाड़ फेका। 126 विधानसभा सीट वाले राज्य में बीजेपी को 60 सीटों पर जीत मिली और बीजेपी यहां पहली बार सरकार बनाने में कामयाब रही।

असम में एनआरसी लिस्ट की क्यों पड़ी जरूरत
बता दें कि असम में बांग्लादेशियों के अवैध रूप से रहने का मामला बहुत ही गंभीर है। इस मुद्दे को लेकर 80 के दशक में तत्कालीन राजीव गांधी सरकार भी कोशिश कर चुकी है लेकिन हल नहीं निकला। तत्कालीन सरकार ने इसको लेकर असम गण परिषद से समझौता भी किया था जिसमें 1971 तक असम में अवैध रूप से रह रहे बांग्लोदशी लोगों को मान्यता देने की बात कही गई थी। लेकिन समझौते पर अमल नहीं हो पाया। वहीं इसके बाद 2005 में एक बार फिर इस मुद्दे को लेकर एक बार फिर से राज्य में आंदोलन हुआ जिसके बाद कांग्रेस की राज्य सरकार ने काम शुरू किया लेकिन 2013 तक कोई नतीजा न आने के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट के मामले में दखल के बाद  ही मौजूदा सरकार ने नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन के विवादित ड्राफ्ट की पहली लिस्ट को जारी किया। जबकि सरकार अभी इस लिस्ट को जारी करने के पक्ष में नहीं थी।

वहीं केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधान बिल पास किया जिसमें अवैध रूप से घुसने वालों के लिए बेस साल 1971 से बढ़ाकर 2014 कर रहा है। सरकार ने कोर्ट में दलील दी थी कि लिस्ट में अभी लाखों लोगों के नाम नहीं हैं ऐसे में इन लोगों के भविष्य का क्या होगा और लिस्ट के आने के बाद कानून व्यवस्था भी विगड़ सकती है। वहीं कोर्ट ने कहा था कि इस ड्राफ्ट से किसी का हक नहीं छिनेगा।

चुनावी मुद्दे से पीछे हट रही है बीजेपी !
बीजेपी ने 2016 असम विधानसभा चुनाव में इस मुद्दे को खूब जोर-शोर से उठाया था। बीजेपी को इस चुनाव में इसका फायदा भी मिला। लेकिन चुनाव जीतने के बाद बीजेपी इस मुद्दे पर शांत ही नजर आ रही है। इसका कारण है बांग्ला-हिंदू। बता दें कि अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों में मुस्लिमों के अलावा बड़ी तादाद में हिंदू भी हैं। इन बांग्ला-हिंदूओं ने बीजेपी की जीत में बड़ी भूमिका निभाई थी। पिछले दिनों गृहमंत्री राजनाथ सिंह मीटिंग में साफ कहे चुके हैं कि अभी हिंदू-बंगालियों को घबराने की जरूरत नहीं है। भले ही बीजेपी नागरिकता संशोधन बिल में बढ़ाई गई समय सीमा पर विवाद को निपटाने का मन बना चुकी हो लेकिन असम गण परिषद पुराने स्टैंड के अनुसार यानी 1971 के बाद सभी अवैध रहने वालों को निकालने की बात पर समझौता चाहती है।

अवैध नागरिकों का क्या होगा? 
अवैध नागरिकों का क्या होगा? क्या वे देश से निकाले जाएंगे या फिर यहीं रहेंगे इसको लेकर कई सवाल सामने आ रहे हैं। पहली लिस्ट के बाद दूसरी लिस्ट में जिन नागरिकों का नाम नहीं है उनका क्या होगा। इसको लेकर अभी कोई भी स्थिति सामने नहीं आई है। ऐसे में मोदी सरकार कौन से कदम को उठाती है और कितनी मुश्किलें सामने आएंगी इसको लेकर कुछ दिनों में ही स्थिति सामने आ जाएगी।

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