17 सितंबर को भोपाल में जन्मे 40 बच्चों के नाम 'नरेंद्र' रखे गए

17 सितंबर को भोपाल में जन्मे 40 बच्चों के नाम 'नरेंद्र' रखे गए

Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-20 17:55 GMT
17 सितंबर को भोपाल में जन्मे 40 बच्चों के नाम 'नरेंद्र' रखे गए

धर्मेंद्र पैगवार, bhaskarhindi.com, भोपाल। ऐसा नॉर्थ कोरिया में भी नहीं होता होगा, जैसा एमपी के सबसे बड़े लेडी अस्पताल में हो रहा है। ये भक्ति है, चापलूसी है या डर है। 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन था। इस दिन एमपी के सबसे बड़े लेडी अस्पताल में जन्मे बच्चों के नाम नरेंद्र रखे गए। इस अस्पताल में नरेंद्र नामकरण का आंकड़ा करीब 40 तक पहुंच गया है। इस दिन से ही अस्पताल के सुप्रींटेंडेट वार्ड में जाकर प्रसूताओं को प्रेरित कर रहे हैं कि वे अपने बच्चे का नाम नरेंद्र रखें। उनका दावा है कि वे अभी तक 70 बच्चों के नाम नरेंद्र रखवा चुके हैं।

भोपाल के इस अस्पताल का नाम सुल्तानिया जनाना अस्पताल है, जो गांधी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध है। इस अस्पताल में सुप्रीटेंडेंट डॉ. करन पीपरे हैं। हर दिन वे अस्पताल के उन वार्ड में जाते हैं, जहां डिलीवरी के बाद महिलाओं को रखा जाता है। वे वार्ड में जाकर महिलाओं से अपील करते हैं कि वे अपने बच्चे का नाम नरेंद्र रखें। इसके बाद वे नरेंद्र नाम की खासियतें बताते हैं। 17 सितंबर से उनके इस अभियान ने जोर पकड़ा है। वे महिलाओं से कहते हैं कि नरेंद्र भारत के प्रधानमंत्री का नाम है। इसका मतलब होता है नरों का इंद्र, मतलब नरों (इंसानों) का देवता। इस नाम का व्यक्ति संस्कारी होता है, बुद्विमान होता हे, उसे जीवन मे सबकुछ मिलता है, उच्च पद भी और विदेशों में नाम भी। 

डॉ. पीपरे ने bhaskarhindi.com को बताया कि वे ऐसा स्वप्रेरणा से कर रहे हैं। बच्चों का नाम ऐसा होना चाहिए, जिसका कोई अर्थ हो। बच्चे का नाम ऐसा हो कि वह अच्छे कर्म करें। नरेंद्र नाम का बच्चा न केवल परिवार बल्कि देश का भी नाम रोशन करता है। वे दावा करते हैं कि अभी तक करीब 70 बच्चों का नाम वे नरेंद्र रखवा चुके हैं। डॉ. पीपरे कहते हैं कि बेटियों का नाम गौरी, दुर्गा और सरस्वती रखें। इसके अलावा वे मुस्लिम महिलाओं से बेटों का नाम सुल्तान और अकबर रखने की अपील करते हैं। 

इधर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी कहते हैं कि नामकरण करना और करवाना डॉक्टर का काम नहीं है। सुल्तानिया अस्पताल के सुप्रीटेंडेंट को चाहिए कि वे पहले महिलाओं के लिए पलंग, दवा आदि पर ध्यान दें न कि सत्ता पक्ष की चापलूसी करें। उन्होंने कहा कि सुल्तानिया अस्पताल में अव्यवस्थाएं जगजाहिर हैं और अधीक्षक इससे ध्यान बांटने के लिए ये सब कर्मकांड कर रहे हैं। 

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