गोरखपुर ट्रेजेडी : 7 महीनों में 10 लेटर, फिर भी सोता रहा अस्पताल प्रशासन

गोरखपुर ट्रेजेडी : 7 महीनों में 10 लेटर, फिर भी सोता रहा अस्पताल प्रशासन

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-15 06:08 GMT
गोरखपुर ट्रेजेडी : 7 महीनों में 10 लेटर, फिर भी सोता रहा अस्पताल प्रशासन

डिजिटल डेस्क, गोरखपुर। डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है, लेकिन जब यही भगवान भ्रष्टाचार और लापरवाही का चोला पहन ले तो कितनों की जान ले सकता है, यह गोरखपुर अस्पताल में देखा गया है। यहां ऑक्सीजन की कमी से 6 दिनों में नवजात बच्चों समेत 63 लोगों की जान चली गई थी। यह सब भ्रष्टाचार और लापरवाही के कारण ही हुआ है। अस्पताल प्रशासन ने ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी का करीब 60 लाख रुपए बकाया भुगतान रोक लिया था।

इसके बाद ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली पुष्पा सेल्स कंपनी ने भी बीते 7 महीनों में करीब 10 बार अस्पताल प्रबंधन को बकाया राशि न मिलने की स्थिति में गैस सप्लाई रोक देने की चेतावनी दी थी। रिपोर्ट के अनुसार अस्पताल में 7 अगस्त के बाद से अब तक 60 बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि 31 जुलाई को अस्पताल को कानूनी नोटिस भी भेजा गया था।

कमीशन के चक्कर में रोका कंपनी का भुगतान

जानकारी के मुताबिक अस्पताल प्रबंधन ने ऑक्सीजन कंपनी की बकाया राशि में से 20 लाख रुपए का भुगतान कर दिया है। अब कंपनी का अस्पताल प्रबंधन पर करीब 40 लाख रुपए बकाया है। वहीं दैनिक भास्कर ने दावा किया है कि मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल अपनी पत्नी के जरिए ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी से रिश्वत मांग रहे थे। कमीशन के चक्कर में ही फर्म की बकाया राशि को डॉ. राजीव मिश्रा ने रोक दिया था। फिलहाल यूपी सरकार ने प्रिंसिपल राजीव मिश्रा को सस्पेंड कर दिया है।

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