तीसरी लहर की तैयारी: बिना सुई के बच्चों को लग सकेगी जायकोव-डी वैक्सीन, कंपनी ने मांगी भारत सरकार से मंजूरी

तीसरी लहर की तैयारी: बिना सुई के बच्चों को लग सकेगी जायकोव-डी वैक्सीन, कंपनी ने मांगी भारत सरकार से मंजूरी

Bhaskar Hindi
Update: 2021-07-02 10:12 GMT
तीसरी लहर की तैयारी: बिना सुई के बच्चों को लग सकेगी जायकोव-डी वैक्सीन, कंपनी ने मांगी भारत सरकार से मंजूरी
हाईलाइट
  • जायकोव-डी को भारत सरकार देगी मंजूरी
  • बच्चों को लगेगा जायकोव-डी का टीका
  • भारत को पांचवी वैक्सीन का इंतजार

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर को लेकर भारत सरकार तैयारी करने में जुटी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) और विशेषज्ञों के मुताबिक तीसरी लहर में बच्चों को ज्यादा खतरा है। लिहाजा इस स्थिति को देखते हुए बच्चों को कोरोना की वैक्सीन देने के लिए सभी कंपनियां काम कर रही हैं। इस कड़ी में देश में पांचवी वैक्सीन जायकोव-डी ने भी भारत सरकार से आपातकालीन स्थिति में इस्तेमाल की मांग की है। जिसको भारत सरकार से जल्दी ही मंजूरी मिल सकती है।

देश में अब तक भारत बायोटेक की कोवैक्सीन, सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड, रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (Russian Direct Investment Fund ) की स्पूतनिक वी और मॉडर्ना जैसी वैक्सीनों को मंजूरी दे दी गई है। ये सभी कंपनियां बच्चों और बड़ों के लिए कोरोना की वैक्सीन तैयार कर रही हैं।  

जायकोव-डी वैक्सीन भी मंजूरी की कतार में
अहमदाबाद स्थित फार्मा कंपनी जायडस कैडिला ने अपनी कोरोना से लड़ने वाली वैक्सीन ‘जायकोव-डी’ (Zycov d Vaccine) के आपातकालीन इस्तेमाल के लिए भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) से मंजूरी मांगी है। जानकारी के अनुसार जायकोव-डी (Zycov d Vaccine) को सरकार से मंजूरी मिलने के बाद देश में कोरोना की पांच वैक्सीन मौजूद होंगी। 

वहीं, एक अंग्रेजी अखबार ने जायकोव-डी (Zycov d) को बच्चों के लिए उम्मीद की किरण बताया है। अखबार ने अपनी खबर में लिखा है कि कंपनी के मुताबिक जायकोव-डी 12 से 18 साल के बच्चों को लगाई जा सकेगी और ये उनके लिए सुरक्षित है। वहीं, इस वैक्सीन का 28 हजार से ज्यादा लोगों पर नैदानिक परीक्षण (diagnostic test) हो चुका है। जिसमें 1 हजार से ज्यादा (12 से 18 साल) बच्चे भी शामिल किए गए थे।कंपनी ने अपनी वैक्सीन को कोरोना के नए वैरिएंट डेल्टा प्लस के लिए कारगर पाया है। परीक्षणों के मुताबिक कोविड 19 के खिलाफ इस वैक्सीन को 66.6 प्रतिशत तक प्रभावी पाया गया है। अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार किसी भी वैक्सीन को आपातकालीन स्थिति में इस्तेमाल के लिए तभी मंजूरी दी जाती। 

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