'21 वीं सदी के विकास का रास्ता हिंद महासागर से होकर निकलेगा'

'21 वीं सदी के विकास का रास्ता हिंद महासागर से होकर निकलेगा'

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-14 02:26 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। समंदर में हिन्दुस्तान ने अपनी ताकत बढ़ा ली है। 17 सालों के इंतजार के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज नौसेना को INS Kalvari पनडुब्बी सौंपी। इस स्कॉर्पियन श्रेणी की पनडुब्बी की मदद से भारत, चीन और पाकिस्तान की घुसपैठ का मुंहतोड़ जवाब दे पाएगा। INS Kalvari के आने से हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की रक्षा क्षमता कई गुना तक बढ़ गई है। पीएम मोदी ने इस मौके पर कहा कि 21 वीं सदी का रास्ता हिंद महासागर से निकलेगा।

 

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ऐतिहासिक उपलब्धि

पीएम मोदी ने INS Kalvari पनडुब्बी को नौसेना को सौंपना ऐतिहासिक उपलब्धि बताया। पीएम ने कहा कि आज सवा सौ करोड़ भारतीयों के लिए बहुत गौरव का दिन है। मैं सभी देशवासियों को इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर बहुत-बहुत बधाई देता हूं। INS Kalvari पनडुब्बी को राष्ट्र को समर्पित करना, मेरे लिए बहुत सौभाग्य की बात है। मैं देश की जनता की तरफ से भारतीय नौसेना को भी बहुत-बहुत शुभकामनाएं अर्पित करता हूं।

 

"Make In India" का उत्तम उदाहरण

पीएम ने कहा कि ये "Make In India" का उत्तम उदाहरण है। मैं INS Kalvari के निर्माण से जुड़े हर श्रमिक, हर कर्मचारी का भी हार्दिक अभिनंदन करता हूं। INS Kalvari के निर्माण में सहयोग के लिए मैं फ्रांस को भी धन्यवाद देता हूं। ये पनडुब्बी भारत और फ्रांस की तेजी से बढ़ती स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप का भी एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

 

हिंद महासागर से विकास का रास्ता

INS Kalvari की शक्ति, या कहें टाइगर शार्क की शक्ति हमारी भारतीय नौसेना को और मजबूत करेगी। कहा जाता है कि 21वीं सदी एशिया की है। ये भी तय है कि 21वीं सदी के विकास का रास्ता हिंद महासागर से होकर ही जाएगा। इसलिए हिंद महासागर की हमारी सरकार की नीतियों में विशेष जगह है। ये अप्रोच, हमारे विजन में झलकती है।

 

मोदी ने दिया स्पेशल नाम

मोदी ने कहा कि, मैं इसे एक स्पेशल नाम से बुलाता हूं- S. A. G. A. R.- “सागर” यानि सेक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन। हम हिंद महासागर में अपने वैश्विक, सामरिक और आर्थिक हितों को लेकर पूरी तरह सजग हैं, सतर्क हैं। इसलिए भारत की मॉडर्न और मल्टी डायमेंशनल नौसेना पूरे क्षेत्र में शांति के लिए, स्थायित्व के लिए आगे बढकर नेतृत्व करती है।

 

हर चुनौती से निपटने को तैयार


मोदी ने कहा कि भारत उन चुनौतियों को लेकर भी गंभीर है, जिनका सामना भारत ही नहीं बल्कि इस क्षेत्र के अलग-अलग देशों को करना पड़ता है। चाहे समुद्र के रास्ते आने वाला आतंकवाद हो, Piracy की समस्या हो, ड्रग्स की तस्करी हो या फिर अवैध फिशिंग, भारत इन सभी चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

 

 

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1,564  टन वजनी

शिपबिल्डर्स मझगांव डॉक लिमिटेड की तैयार की गई इस पनडुब्बी का वजन 1,564 टन है। इसे सबमरीन प्रॉजेक्ट-75 के अंतर्गत बनाया गया है। गुरुवार सुबह 11 बजे मुंबई में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया। इस अवसर पर उनके साथ रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण भी मौजूद रही।

 

 

6 पनडुब्बियों में से एक

डीजल- इलेक्ट्रिक युद्धक पनडुब्बी Kalvari स्कॉर्पिन श्रेणी की उन 6 पनडुब्बियों में से पहली पनडुब्बी है, जिसे भारतीय नौसेना में शामिल किया जाना है। यह मेक इन इंडिया पहल की कामयाबी को दर्शाता है। इस परियोजना को फ्रांस के सहयोग से चलाया जा रहा है। 


गाइडेड वेपेंस पर तुरंत हमले की क्षमता

इस पनडुब्बी की खासियत ये है कि यह दुश्मन की ओर से आने वाले गाइडेड वेपेंस पर तुरंत हमला कर सकती है टॉरपीडो और ऐंटी शिप मिसाइलों से ये हमले कर सकती है। दुश्मन की नजरों से बचकर सटीक निशाना लगाने में ये सक्षम है। इसके अलावा पनडुब्बी के अंदर होने पर इसे ट्यूब की मदद से एंटी-शिप मिसाइल को भी इससे लॉन्च किया जा सकता है। नौसेना की मानें तो इस पनडुब्बी को ऐसे डिजाइन किया गया है कि यह हर तरह की स्थिति में अपने मिशन को पूरा कर सकती है।

 


पनडुब्बियों की क्षमता बढ़कर 14

Kalvari के नौसेना में शामिल होने के बाद हिन्दुस्तान की पनडुब्बियों की क्षमता बढ़कर 14 हो गई है। न्यूक्लियर ताकतों से लैस पनडुब्बी और बैलिस्टिक मिसाइल नौसेना की ताकत और दक्षता को बढ़ाएंगे। साथ ही रणनीतिक मजबूती के लिए भी यह महत्वपूर्ण है। भारत ने नौसेना की ताकत को बढ़ाने के लिहाज से पिछले साल आईएनएस अरिहन्त को लॉन्च कर इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया। पिछले कुछ सालों से पानी के अंदर आक्रमण कर सकने में सक्षम आधुनिक हथियारों की कमी भारत के लिए एक चिंता जरूर रही।

 

टाइगर शार्क के नाम पर Kalvari

INS Kalvari का नाम खतरनाक टाइगर शार्क के नाम पर रखा गया है। आठ दिसंबर 1967 को पहली पनडुब्बी INS Kalvari नौसेना में शामिल हुई थी जिसे लगभग तीन दशकों के बाद 31 मई 1996 को सेवा से हटा दिया गया था। स्कॉर्पियन क्लास की एक और पनडुब्बी आईएनएस खंदेरी को जनवरी 2017 में नौसेना में शामिल किया जा चुका है। खंदेरी के सी-ट्रायल जारी हैं और मार्च 2018 तक इसे नौसेना में शामिल कर लिया जाएगा। बाकी चार पनडुब्बियों को साल 2020 तक नौसेना को सौंप दिया जाएगा।

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