दिल्ली में कोरोना वायरस से मौत के आंकड़ों पर गरमाई राजनीति

दिल्ली में कोरोना वायरस से मौत के आंकड़ों पर गरमाई राजनीति

IANS News
Update: 2020-05-10 09:31 GMT
दिल्ली में कोरोना वायरस से मौत के आंकड़ों पर गरमाई राजनीति

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली, 10 मई(आईएएनएस)। दिल्ली में कोरोना वायरस से होने वाली मौतों के आंकड़े पर राजनीति गरमा गई है। भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली सरकार पर मौत के आंकड़ों पर परदा डालने का आरोप लगाते हुए सच बताओ केजरीवाल कैंपेन शुरू किया है। भाजपा का कहना है कि केजरीवाल सरकार कोरोना को काबू में करने की नाकामी से बचने के लिए मौत ही नहीं बल्कि कोरोना पॉजिटिव लोगों के आंकड़ों की भी अंडर रिपोटिर्ंग कर रही है। भाजपा ने इसे दिल्ली की जनता से धोखा बताया है।

हालांकि, सत्ताधारी आम आदमी पार्टी(आप) के नेता ऐसे आरोपों को खारिज करते हुए भाजपा पर राजनीति करने का आरोप लगाते हैं। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह का कहना है कि भाजपा नेताओं को मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों की तरफ ध्यान देने की जरूरत है, जहां की स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल है। संजय सिंह आरोप लगाते हैं कि संकट की इस घड़ी में भाजपा राजनीति करने से बाज नहीं आ रही है।

दिल्ली में कोरोना मरीजों के आंकड़ों को लेकर भाजपा की प्रदेश इकाई लगातार हमलावर है। प्रदेश अध्यक्ष और सांसद मनोज तिवारी प्रेस कांफ्रेंस कर दिल्ली सरकार पर मौत के आंकड़े छिपाने का आरोप लगा चुके हैं।

मनोज तिवारी ने कहा, केजरीवाल दिल्ली में हुई कोरोना से मौतों का असली आंकड़ा सार्वजनिक करें और स्पष्टीकरण दें कि वो मौतों की संख्या क्यों छुपा रहे हैं,लोग सच जानना चाहते हैं।

भाजपा सांसद हंसराज हंस अपने एक ट्वीट में कहते हैं, सिर्फ भाजपा ही नहीं दिल्ली की सारी जनता मुख्यमंत्री जी से यह पूछना चाहती है कि कोरोना वायरस के सही आंकड़े उन्होंने दिल्ली की जनता से क्यों छिपाए। यह दिल्ली की जनता के साथ छल नहीं तो क्या है।

भाजपा नेताओं का कहना है कि आईटीओ के पास कोरोना मरीजों के लिए बने कब्रिस्तान में दिल्ली सरकार ने 86 लाशें दफनाई है लेकिन फिर भी मौत का आंकड़ा 66 ही बता रही है। दिल्ली सरकार दिल्ली के लोगों को भ्रमित कर उनकी जान को जोखिम में डालने का काम कर रही है।

उधर भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सुनील यादव ने आईएएनएस से कहा, केजरीवाल सरकार कोरोना से सिर्फ 66 मौतों की बात कह रही है जबकि दिल्ली के सिर्फ चार बड़े अस्पतालों में मौत का आंकड़ा 116 तक पहुंच गया। दिल्ली की जनता से ये आंकड़े क्यों छिपाए जा रहे हैं।

 

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