3,000 करोड़ रुपये की लागत से इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली प्रोजेक्ट हिमशक्ति की खरीद

दिल्ली 3,000 करोड़ रुपये की लागत से इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली प्रोजेक्ट हिमशक्ति की खरीद

IANS News
Update: 2023-03-24 15:30 GMT
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हाईलाइट
  • सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय 3,000 करोड़ रुपये के दो एकीकृत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली प्रोजेक्ट हिमशक्ति की खरीद करेगा। रक्षा मंत्रालय ने इसके लिए हैदराबाद स्थित भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के साथ समझौता किया है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक 24 मार्च, को लगभग 3,000 करोड़ रुपये के दो एकीकृत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली प्रोजेक्ट हिमशक्ति की खरीद के लिए बीईएल के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। यह खरीद परियोजना स्वदेशी रूप से विकसित डिजाइन और निर्मित श्रेणी के तहत है, जिसमें समकालीन और उन्नत प्रौद्योगिकियां शामिल हैं।

रक्षा मंत्रालय ने बताया कि प्रोजेक्ट हिमशक्ति एमएसएमई सहित भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स और संबद्ध उद्योगों, जो बीईएल के उप-विक्रेता हैं, की भागीदारी को प्रोत्साहित करेगी। इसके अलावा यह दो साल की अवधि में लगभग तीन लाख मानव-दिवस रोजगार उत्पन्न करेगी। यह परियोजना सरकार की मेक-इन-इंडिया पहल के अनुरूप देश को आत्मनिर्भर बनाने को लेकर स्वदेशी क्षमताओं को विकसित करने की दिशा में एक बड़ी छलांग है।

इससे पहले रक्षा मंत्रालय ने 23 मार्च, को भारतीय वायु सेना की परिचालन क्षमताओं में बढ़ोतरी के लिए भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के साथ 3,700 करोड़ रुपये से अधिक के दो अलग-अलग अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए। इनमें पहला अनुबंध 2,800 करोड़ रुपये से अधिक का है, जो भारतीय वायु सेना के लिए मध्यम शक्ति रडार (एमपीआर) अरूधरा की आपूर्ति से संबंधित है। वहीं, दूसरा अनुबंध लगभग 950 करोड़ रुपये का है, जो 129 डीआर-118 रडार चेतावनी प्राप्तकर्ता (आरडब्ल्यूआर) से संबंधित है।

ये दोनों परियोजनाएं भी स्वदेशी रूप से डिजाइन विकसित व निर्मित श्रेणी के तहत हैं। यह परियोजना औद्योगिक वातावरण में विनिर्माण क्षमता के विकास के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगी।

एमपीआर (अरुधरा) नामक इस रडार को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने स्वदेशी रूप से डिजाइन व विकसित किया है और इसका निर्माण बीईएल करेगी। पहले ही इसका सफल परीक्षण भारतीय वायु सेना कर चुकी है। यह हवाई लक्ष्यों की निगरानी और पता लगाने के लिए दिगंश व उन्नयन, दोनों में इलेक्ट्रॉनिक स्टीयरिंग के साथ एक 4डी मल्टी-फंक्शन रडार हैं।

वहीं डीआर-118 रडार वानिर्ंग रिसीवर एसयू-30 एमकेआई विमान की इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (ईडब्ल्यू) क्षमताओं में काफी बढ़ोतरी करेगा। इसके अधिकांश उप-संयोजन और पुर्जे स्वदेशी निमार्ताओं से प्राप्त किए जाएंगे। यह परियोजना एमएसएमई सहित भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स और संबद्ध उद्योगों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देने के साथ उसे प्रोत्साहित करेगी। इसके अलावा यह साढ़े तीन साल की अवधि में लगभग दो लाख मानव-दिवस का रोजगार सृजित करेगी।

 

आईएएनएस

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