'संघ के हिंदुत्व की संकल्पना का कुछ लोग गलत अर्थ निकालते हैं'

'संघ के हिंदुत्व की संकल्पना का कुछ लोग गलत अर्थ निकालते हैं'

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-01 13:57 GMT
'संघ के हिंदुत्व की संकल्पना का कुछ लोग गलत अर्थ निकालते हैं'

डिजिटल डेस्क, पुणे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि मुक्त संकल्पना राजनीति में चलती है, लेकिन संघ में नहीं है। हमें राष्ट्र निर्माण के लिए विरोधकों समेत सभी समाज संगठित करना है। भागवत ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हिंदुत्व की संकल्पना का कुछ लोग गलत अर्थ निकालते हैं। हिंदुत्व का अर्थ यह है कि खुद के साथ परिवार, देश, दुनिया, मानवता तथा सृष्टि पर होनेवाली श्रध्दा है। यह समझना चाहिए।

भागवत ने कहा कि जिनके विचार हमें मान्य नहीं होते, जो विरोधी हैं, उन्हें साथ लेकर राष्ट्र निर्माण के ध्येय की ओर बढ़ना युरोपियन लोगों ने संभव किया। जो भारत में अभी तक नहीं हुआ है। पिछली गलतियां सुधारकर एक दूसरे को साथ देते हुए परंपरा पालते हुए राष्ट्रनिमार्ण की ओर सकारात्मकता से बढ़ना आवश्यक है। हमें राष्ट्र निर्माण के लिए विरोधियों समेत सभी समाज को संगठित करना है। भागवत ने कहा कि जिसे भाषा में बोलना नहीं आता, वह प्रशासन कैसे चलाएगा। प्रशासन चलाने के लिए मिट्टी से गहरा नाता होना चाहिए।

महाराष्ट्र साहित्य कला प्रसारिणी सभा द्वारा बालगंधर्व रंगमंदिर में प्रसिद्ध लेखक एवं भारतीय परराष्ट्र व्यवहार मंत्रालय के सचिव डॉ. ज्ञानेश्वर मुले की अनुवादित रचनाएं, पंख नि आकाश, पासपोर्ट मैन ऑफ इंडिया, शांति की अफवाएं, होतच नाही सकाळ, ज्ञानेश्वर मुले की कविताएं- प्रातिनिधिक संकलन इन पुस्तकों का विमोचन भागवत के हाथों हुआ। इस मौके पर अंतरराष्ट्रीय नीति विश्लेषक, विचारशील डॉ. संदीप वासलेकर भी उपस्थित थे।

गौरतलब है कि शनिवार को भी मोहन भागवत ने महाराष्ट्र के रायगड में आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत की थी। यहां भागवत ने छत्रपति महाराज शिवाजी के शासन को याद करते हुए पूछा था कि बदले समय के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए, जहां महिलाओं की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। उन्होंने कहा था कि आज हर घर में शिवाजी की जरूरत है। साथ ही यहां उन्होंने कहा कि आज देश को भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध करने की जरूरत है।

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