RSS नेता ने फारूक अब्दुल्ला पर बोला हमला कहा, देश छोड़कर कहीं और जाकर बसे

नई दिल्ली RSS नेता ने फारूक अब्दुल्ला पर बोला हमला कहा, देश छोड़कर कहीं और जाकर बसे

Anupam Tiwari
Update: 2021-12-06 17:25 GMT
RSS नेता ने फारूक अब्दुल्ला पर बोला हमला कहा, देश छोड़कर कहीं और जाकर बसे
हाईलाइट
  • आरएसएस नेता ने फारूक को कहा देश छोड़ दें
  • किसानों ने बलिदान दी तब केंद्र ने तीन कृषि कानून रद्द की
  • जम्मू में उकसाने की राजनीति बंद होनी चाहिए

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वंय सेवक के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के बयान पर जोरदार पलटवार करते हुए कहा कि अगर फारूक अब्दुल्ला को भारत में घुटन महसूस होती है तो उन्हें यह देश छोड़ देना चाहिए तथा दुनिया के किसी अलग हिस्से में, जो उन्हें पसंद हो, वहां जाकर रहना चाहिए। गौरतलब है कि फारूक अब्दुल्ला ने कहा था कि जम्मू कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए प्रदेश की जनता को किसानों की तरह बलिदान देना पड़ेगा।

देश की एकता और अखंडता में बाधा न बनें

आपको बता दें कि राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने जम्मू कश्मीर के लोगों के कथित दमन के खिलाफ दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करने के लिए पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती की भी आलोचना की और कहा कि झूठ बोलना उनके लिए फैशन बन गया है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के दोनों नेताओं को उकसाने की राजनीति करना बंद कर देना चाहिए और देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने में बाधा नहीं बनना चाहिए। अब्दुल्ला के बयान पर इंद्रेश कुमार ने कहा कि उनका बयान साफतौर पर दिख रहा है कि उन्हें हिंसा से प्यार है, शांति से नहीं। 

अधिकारों को पाने के लिए बलिदान देने पड़ेगा

आपको बता दें कि पार्टी के संस्थापक शेख अब्दुल्ला की 116 वीं जयंती के अवसर पर नसीमबाद स्थित उनके मकबरे में आयोजित कार्यक्रम पर सभा को संबोधित करते हुए फारूख अब्दुल्ला ने कहा, 11 महींनों में आंदोलन के दौरान 700 किसानों की मौत हुई। किसानों के बलिदान पर केंद्र को तीन कृषि बिलों को रद्द करना पड़ा। उन्होंने आगे कहा कि हमें अपने अधिकारों को वापस पाने के लिए उस तरह का बलिदान भी करना पड़ सकता है। 

हिंसा के खिलाफ है नेशनल कॉन्फ्रेंस 

बता दें कि जम्मू के पूर्व सीएम अब्दुल्ला ने कहा कि 11 महीने में 700 से अधिक किसान मारे गए।, जब देश के किसानों ने बलिदान दिया तो केंद्र सरकार को तीन कृषि बिलों को रद्द करना पड़ा। हमें अपने अधिकार वापस पाने के लिए वैसा बलिदान भी करना पड़ सकता है। अब्दुल्ला ने कहा यह याद रखें, हमने आर्टिकल 370 व 35 (अ) और राज्य का दर्जा प्राप्त करने का वादा किया है और हम कोई भी बलिदान देने के लिए तैयार है। 

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