डिजिटल डेस्क,जम्मू। हिन्दू संगठनों को घाटी के जारी हालातों पर अब एकजुट होकर चिंतन और मंथन करते देखा जा रहा है। मंगलवार को लगभग 91 साल बाद RSS एक चिंतन बैठक कर रहा है, जिसमें घाटी के जारी हालातों का जायजा लिया जाएगा। अभी कुछ दिनों पहले ही विश्व हिन्दू परिषद ने घाटी में बजरंग दल के साथ मिलकर 10,000 कार्यकर्ताओं को इकट्ठा कर आतंकवाद से निपटने की बात कही थी। बहरहाल जो भी हो हिन्दू संगठन घाटी की राजनीति में इन दिनों बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते दिख रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पहली बार जम्मू-कश्मीर में अपनी अखिल भारतीय बैठक कर रहा है। संघ की तीन दिवसीय बैठक मंगलवार से शुरू है, जिसमें देश की तमाम चुनौतियों पर चिंतन और विचार-विमर्श होगा। साथ ही आने वाले समय में संगठन के कार्यों का लेखा-जोखा तैयार किया जाएगा।
91 साल बाद घाटी का रुख
RSS संघ का गठन 1925 में किया गया था। तब से अब तक जम्मू-कश्मीर में संघ की एक भी बैठक का आयोजन नहीं किया गया है। यानी संघ ने अपनी अखिल भारतीय बैठक के लिए पहली बार घाटी का रुख किया है। संघ बनने के पूरे 91 साल बाद घाटी में RSS की मीटिंग हुई है। इसमें 195 प्रचारक हिस्सा लेगें। पहली बार राज्य में इतने बड़े लेवल पर बैठक हो रही है।
कश्मीर के हालात पर चर्चा
बैठक में शिरकत के लिए संघ प्रमुख मोहन भागवत और बाकी नेता शनिवार को ही जम्मू पहुंच चुके हैं। मीटिंग में खासतौर पर जम्मू कश्मीर में अमरनाथ यात्रा पर आतंकवादी हमले, आंतरिक सुरक्षा और कश्मीर के हालात पर चर्चा होगी।
मीडिया रिपोर्टेस के मुताबिक इस समय सबसे बड़ा और सुलगता सवाल यह है कि घाटी में बढ़ते आतंकवाद से कैसे निपटा जाए। इसमें स्थानीय स्तर पर "बुरहान वानी" जैसे किस्सों से बढ़ रहे आतंकवाद, पत्थरबाजों की चुनौती और सुरक्षा बालों पर हमले सहित राज्य में पीडीपी-बीजेपी सरकार जैसे मामलों पर विचार किया जाएगा। 20 जुलाई तक चलने वाली बैठक के बाद 21 जुलाई को एक बार फिर कोर ग्रुप की बैठक होगी।