सबरीमाला: SC ने कहा- प्राइवेट प्रॉपर्टी नहीं है मंदिर, महिलाओं को भी मिले एंट्री

सबरीमाला: SC ने कहा- प्राइवेट प्रॉपर्टी नहीं है मंदिर, महिलाओं को भी मिले एंट्री

Bhaskar Hindi
Update: 2018-07-18 12:17 GMT
सबरीमाला: SC ने कहा- प्राइवेट प्रॉपर्टी नहीं है मंदिर, महिलाओं को भी मिले एंट्री
हाईलाइट
  • सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश पर प्राचीन समय से लगी हुई है रोक।
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को भी मिले प्रवेश का अधिकार।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी से संबंधित मामले में बुधवार को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि मंदिर एक सार्वजनिक संपत्ति है, यह किसी की प्राइवेट प्रॉपर्टी नहीं है। इसलिए अगर इसमें पुरुषों को जाने की अनुमति है तो महिलाओं को भी यहां प्रवेश दिया जाना चाहिए। CJI ने कहा, "किन आधारों पर मंदिर अथॉरिटी ने महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी लगाई है। यह नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ है। एक बार अगर आप इसे खोलते हैं तो इसमें कोई भी जा सकता है।"

 


गौरतलब है कि सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश पर रोक है। मंदिर अथॉरिटी का कहना है कि रजस्वला अवस्था की वजह से इस आयु वर्ग की महिलाएं "शुद्धता" बनाए नहीं रख सकती हैं, इसलिए इस उम्र की महिलाओं का प्रवेश मंदिर में वर्जित है। मंदिर के इस नियम के खिलाफ साल 2015 में आवाज उठी थी। इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन ने एक जनहित याचिका दायर कर सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की इजाजत मांगी थी। इस याचिका पर केरल हाई कोर्ट ने सुनवाई कर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को सही माना था। इसके बाद केरल हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने इस मामले पर सुनवाई शुरू की थी और बाद में इसे संवैधानिक बेंच को ट्रांसफर कर दिया था। CJI की अध्यक्षता में संवैधानिक बेंच ने  इस याचिका पर मंगलवार (17 जुलाई) को सुनवाई शुरू की। दो दिन से चल रही इस सुनवाई के बाद बेंच ने महिलाओं के हक में टीप्पणी की है।

बता दें कि केरल की राज्य सरकार ने भी इस मामले में पहले मंदिर अथॉरिटी का समर्थन किया था, हालांकि इस साल राज्य सरकार ने अपना पुराना रूख बदलकर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का समर्थन किया है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान CJI ने राज्य सरकार को भी इस मामले पर बार-बार अपना रूख बदलने के लिए फटकार लगाई है।
 

 

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