पाबंदी लगी क़तर पर और पर कतरे गए 'बेपुर' के
पाबंदी लगी क़तर पर और पर कतरे गए 'बेपुर' के
टीम डिजिटल, कोझिकोड. देखा जाए तो क़तर और केरल के 'बेपुर' में कोई रिश्ता नहीं है] पर ये जानकर आपको हैरानी होगी कि केरल के कई परिवारों का घर कतर के राजपरिवार चलाते है. लेकिन क़तर पर लगी पाबन्दी से उन परिवारों को संकट का सामना करना पड़ सकता है दरअसल साल 2011 से ही कोझिकोड जिले का यह तटवर्ती शहर कतर के राजपरिवार को 10 विशेष रूप से निर्मित लग्जरी ‘ ‘धो’’ (स्थानीय बोली में उरु) बेच चुके हैं, लेकिन पड़ोसी देशों की कतर पर लगी पाबंदी से परंपरागत बोट बनानेवालों के भविष्य पर सवालिया निशान लगता दिख रहा है.
कतर के राजपरिवार के ऑर्डर पर दो बड़े लग्जरी ‘धो’ बनाए जा रहे हैं. क्राफ्ट्समेन और ‘धो’ निर्माता 52 वर्षीय सतायन इडाथोडी के चलियार नदी के सामने बने बोटयार्ड में यह काम चल रहा है. मौजूदा योजना के मुताबिक, इंटीरियर वर्क्स के लिए 120 फीट लंबी नौका को 2018 के मध्य तक दुबई भेजकर वहां से दोहा भेजना है.
खाड़ी संकट की खबर आने के बाद से इडाथोडी कतर के अपने बड़े-बड़े ग्राहकों से रोजाना संपर्क कर रहे हैं. इडाथोडी ने कहा कि अगर 2018 तक दुबई में कतर की नौकाओं के आगमन पर प्रतिबंध नहीं हटा तो उन्हें इंटीरियर वर्क, कैबिन्स, लग्जरी फर्निशिंग और एयर कंडिशनिंग का काम अब कतर में ही करना होगा.
उन्होंने कहा, 'हम कतर के हमारे बॉस यूसुफ अहमद अल अमारी से लगातार संपर्क में हैं. कतर के राजपरिवार की ओर से वही ‘धो’ प्रॉजेक्ट्स की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.उन्होंने हमें कहा कि घबराओ मत, खाड़ी की यह समस्या तात्कालिक है जो सुलझ जाएगी. कतर के राजपरिवार से मिले संरक्षण की बदौलत ही यहां की पुरानी बोट इंडस्ट्री को रिवाइव किया जा सका जो बर्बादी के कगार पर थी.'