एयरक्राफ्ट AN-32 की सर्च में ISRO भी हुआ शामिल, सैटेलाइट के जरिए करेगा मदद

एयरक्राफ्ट AN-32 की सर्च में ISRO भी हुआ शामिल, सैटेलाइट के जरिए करेगा मदद

Bhaskar Hindi
Update: 2019-06-04 12:30 GMT
एयरक्राफ्ट AN-32 की सर्च में ISRO भी हुआ शामिल, सैटेलाइट के जरिए करेगा मदद
हाईलाइट
  • ISRO अपने सैटेलाइट के जरिए एयरक्राफ्ट का पता लगाने की कोशिश करेगा
  • AN-32 एयरक्राफ्ट का पता लगाने के लिए ISRO ने भी सर्च मिशन जॉइन कर लिया है
  • एयरक्राफ्ट की सर्च के लिए इंडियन नेवी के P-8I विमान को भी तैनात किया गया है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंडियन एयरफोर्स के लापता हुए AN-32 एयरक्राफ्ट का पता लगाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने भी सर्च ऑपरेशन जॉइन कर लिया है। ISRO अपने सैटेलाइट के जरिए एयरक्राफ्ट का पता लगाने की कोशिश करेगा। इसके अलावा एयरक्राफ्ट की सर्च के लिए इंडियन नेवी के लॉन्ग रेंज मैरीटाइम टोही विमान P-8I को भी तैनात किया गया है। 

EO IR सेंसर के साथ सर्च
नेवी के विमान जोरहाट और मेचुका के बीच घने जंगलों में इलेक्ट्रो ऑप्टिकल और इंफ्रा रेड (EO IR) सेंसर के साथ सर्च को अंजाम देंगे, जहां AN-32 लापता हो गया था। लापता विमान ने सोमवार को असम के जोरहाट से 12.25 बजे उड़ान भरी और लगभग 1 बजे ग्राउंड स्टेशन से उसका संपर्क टूट गया था। अरुणाचल प्रदेश के मेचुका एडवांस लैंडिंग ग्राउंड में दोपहर 1.30 बजे उसे पहुंचना था।

क्या कहा एयरफोर्स ने?
इंडियन एयरफोर्स (IAF) के प्रवक्ता ने मंगलवार को कहा, "मौसम साफ होते ही सर्च एंड रेस्क्यू (SAR) फिर से शुरू हो गया है। दो Mi17 और एक ALH हेलीकॉप्टर को पहले ही सेना और ITBP की जमीनी पार्टी के साथ तैनात किया जा चुका है। अधिक विमानों की भी तैनाती की जा सकती है।" बता दें कि वायुसेना ने एयरक्राफ्ट का पता लगाने के लिए अपने सभी संसाधनों को नियोजित किया है। सोमवार को एक सुखोई-30MKI और C-130 स्पेशल ऑपरेशन एयरक्राफ्ट को भी सर्च ऑपरेशन पर तैनात किया गया था।

ग्रुप कैप्टन अनुपम बैनर्जी ने कहा कि सर्च ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए यह थोड़ा मुश्किल इलाका है क्योंकि वहां काफी घनी वनस्पति है। यह एक मुश्किल ऑपरेशन है लेकिन हम अपने सभी साधनों, इलेक्ट्रॉनिक यानी इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल साधनों का उपयोग कर रहे हैं। इसका विश्लेषण करने के बाद हम विजुअल लुकआउट करेंगे। उन्होंने कहा इस क्षेत्र की तस्वीर लेने के लिए ISRO के उपग्रहों का भी उपयोग किया जा रहा है, जिनका विश्लेषण कर आगे का सर्च ऑपरेशन किया जाएगा। सर्च के प्रयास के बारे में सभी लापता कर्मियों के परिजनों को सूचित कर दिया गया है। हम उनके साथ लगातार संपर्क में हैं।

इससे पहले IAF के प्रो विंग कमांडर रत्नाकर सिंह ने कहा, "एक क्रैश साइट के संभावित स्थान की कुछ जमीनी रिपोर्ट मिली थी। हेलीकॉप्टरों को उस स्थान पर भेजा गया। हालांकि, अभी तक किसी भी मलबे को देखा नहीं गया है। IAF एयरक्राफ्ट का पता लगाने के लिए भारतीय सेना के साथ-साथ गवर्नमेंट और सिविल एजेंसियों की भी मदद ले रही है।"

राजनाथ सिंह ने की एयर मार्शल से बात
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को लापता IAF का AN-32 एयरक्राफ्ट को लेकर वायुसेना के वाइस चीफ, एयर मार्शल राकेश सिंह भदौरिया से बात की थी। सिंह ने बताया था कि एयर मार्शल ने उन्हें विमान की तलाश करने के लिए वायुसेना की ओर से उठाए गए कदमों से अवगत कराया। राजनाथ सिंह ने सभी यात्रियों की सुरक्षा के लिए भी प्रार्थना की थी।

जोरहाट से भरी थी एयरक्राफ्ट ने उड़ान
बता दें कि AN-32 एयरक्राफ्ट सोमवार को असम के जोरहाट से उड़ान भरने के बाद से लापता है जिसमें क्रू मेंबर सहित 13 लोग सवार थे। असम के जोरहाट से 12.25 बजे एयरक्राफ्ट ने उड़ान भरी थी। अरुणाचल प्रदेश के मेचुका एडवांस लैंडिंग ग्राउंड पर एयरक्राफ्ट को दोपहर 1.30 बजे लैंड करना था, लेकिन 1 बजे के बाद एयरक्राफ्ट का ग्राउंड एजेंसीज से संपर्क टूट गया। मेचुका एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम सियांग जिले में मेचुका घाटी में स्थित है। यह मैकमोहन लाइन के पास भारत-चीन सीमा के सबसे नज़दीकी लैंडिंग ग्राउंड है।

मेचुका एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड का महत्व
समुद्र तल से लगभग 1830 मीटर की ऊंचाई पर और चीन सीमा के करीब स्थित, मेचुका चीन के साथ 1962 के युद्ध के दौरान कई रणनीतिक स्थानों में से एक था। लंबे समय तक इस साइट का उपयोग नहीं किया गया। साल 2013 में इसे रिकंस्ट्रक्ट करने का निर्णय लिया गया। IAF वर्क्स विभाग ने 30 महीनों के रिकॉर्ड समय में कार्य पूरा किया। ईटानगर से सड़क मार्ग से लगभग 500 किलोमीटर दूर, मेचुका चीन सीमा से केवल 29 किलोमीटर दूर है और पहले से ही सीमांत राज्य में एक प्रमुख पर्यटक सर्किट का हिस्सा है।

1984 में IAF में हुआ था शामिल
AN-32 सोवियत एरा का ट्विन-इंजन टर्बोप्रॉप ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट है, जिसे पहली बार 1984 में IAF में शामिल किया गया था। आखिरी बार IAF का यह एयरक्राफ्ट 22 जुलाई 2016 को लापता हुआ था, जब अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के लिए इसने चेन्नई से उड़ान भरी थी। यह एयरक्रफ्ट बंगाल की खाड़ी के ऊपर लापता हो गया था। हफ्तों तक सर्च और रेस्क्यू अभियान जारी रहा लेकिन विमान कभी नहीं मिला। इसके बाद विमान में सवार सभी 29 लोगों को डेड मान लिया गया।

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