जम्मू-कश्मीर में बाढ़ प्रबंधन योजना का दूसरा चरण जल्द शुरू होगा (आईएएनएस विशेष)

जम्मू-कश्मीर में बाढ़ प्रबंधन योजना का दूसरा चरण जल्द शुरू होगा (आईएएनएस विशेष)

IANS News
Update: 2020-08-05 17:30 GMT
जम्मू-कश्मीर में बाढ़ प्रबंधन योजना का दूसरा चरण जल्द शुरू होगा (आईएएनएस विशेष)

श्रीनगर, 5 अगस्त (आईएएनएस)। झेलम नदी पर 5,400 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बाढ़ प्रबंधन कार्य के लिए जम्मू-कश्मीर में एक व्यापक योजना का दूसरा चरण जल्द ही शुरू होने वाला है। सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने की पहली वर्षगांठ के मौके पर कहा कि इस योजना पर मार्च 2021 तक काम पूरा हो जाएगा।

एक विस्तृत नोट में सरकार ने कहा कि झेलम बाढ़ शमन परियोजना (पहला चरण) झेलम नदी की क्षमता 10,000 क्यूसेक की वृद्धि के साथ पूरा हो गया है। आंकड़ों के अनुसार, परियोजना का दूसरा चरण जल्द ही शुरू होना है, जिसका उद्देश्य अतिरिक्त 15,000 क्यूसेक की वहन क्षमता बढ़ाना है। अधिकारियों ने कहा कि इस परियोजना को पिछले साल जून में तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने मंजूरी दी थी।

जम्मू एवं कश्मीर के मुख्य सचिव पी. वी. आर. सुब्रह्मण्यम ने आईएएनएस से कहा, झेलम परियोजना शुरू हुई, लेकिन दो साल में केवल 0.6 प्रतिशत काम पूरा हुआ। इसे 2019 तक पूरा करने का लक्ष्य था। परियोजना का लगभग 82 प्रतिशत काम दो साल में किया गया। हम तेजी से काम कर रहे हैं। यह कभी भी शुरू हो जाएगा और जल्द ही अगले साल तक समाप्त भी हो जाएगा।

राज्य प्रशासनिक परिषद (एसएसी) 5,411.54 करोड़ की लागत से झेलम में बाढ़ प्रबंधन कार्यों की योजना पर काम कर रही है। परियोजना को पार्ट ए के साथ आंशिक रूप से लागू करने का प्रस्ताव है, जिसे प्रधानमंत्री विकास पैकेज (पीएमडीपी) और पार्ट बी के तहत 1,684.60 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है, जिसके लिए धन के स्रोत की पहचान की जानी है।

दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में संगम पर बाढ़ के खतरे को कम करने के अल्पकालिक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए परियोजना तैयार की गई है।

विभाग को परियोजना के दूसरे चरण के भाग बी के लिए वित्त पोषण विकल्प तलाशने का काम सौंपा गया है। विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) की जांच के लिए एसएसी के निर्देशानुसार एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है, जो केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) या भारत सरकार से इसकी मंजूरी के लिए नियमित रूप से अनुवर्ती कार्रवाई करती है। यह परियोजना के दोनों चरणों के तहत विभिन्न कार्यों के निष्पादन की नियमित निगरानी और पर्यवेक्षण का काम भी करती है।

सितंबर 2014 की विनाशकारी बाढ़ के बाद और केंद्र द्वारा गठित एक उच्च-स्तरीय समिति की सिफारिशों पर कश्मीर घाटी में बाढ़ से निपटने के लिए एक बहु-आयामी रणनीति को अपनाया गया था। तदनुसार, तत्कालीन 31,000 क्यूसेक से 60,000 क्यूसेक तक झेलम नदी की वहन क्षमता बढ़ाने के लिए पीएमडीपी के तहत दो चरणों में कार्य की परिकल्पना की गई थी।

यह जम्मू-कश्मीर सरकार की उन 35 उपलब्धियों में से एक है, जिन्हें अनुच्छेद 370 और 35ए के निरस्त होने के एक साल के भीतर हासिल करने का दावा किया गया है।

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