असम NRC फाइनल ड्राफ्ट पर सुप्रीम कोर्ट का निर्देश- अभी कोई कार्रवाई न करे सरकार

असम NRC फाइनल ड्राफ्ट पर सुप्रीम कोर्ट का निर्देश- अभी कोई कार्रवाई न करे सरकार

Bhaskar Hindi
Update: 2018-07-31 13:18 GMT
हाईलाइट
  • असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) के फाइनल ड्राफ्ट पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई।
  • कोर्ट ने कहा- अभी इस ड्राफ्ट पर एक्शन लेने की जरुरत नहीं।
  • सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि लोगों को अपने दावे साबित करने के लिए पूरा समय दिया जाना चाहिए।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) के फाइनल ड्राफ्ट पर छिड़ी बहस अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई  है। इस ड्राफ्ट में 40 लाख लोगों के नाम शामिल न होने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अभी इन लोगों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने सोमवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह अंतिम NRC की लिस्ट नहीं है, यह महज एक ड्राफ्ट है, इसलिए इस पर केन्द्र सरकार को एक्शन लेने की जरुरत नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि जिन लोगों के नाम इस ड्राफ्ट में शामिल नहीं है, उन्हें अपने दावे और आपत्तियां जताने के लिए पूरा समय दिया जाना चाहिए।

जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस आरएफ नरीमन की बेंच ने इस मामले को सुना। सुनवाई के दौरान असम NRC समन्यवक शैलेश ने कोर्ट में बताया कि 40 लाख से ज्यादा लोगों का नाम फाइनल ड्राफ्ट में नहीं है। इसमें से 37.59 लाख नामों को अस्वीकार कर दिया गया और 2.89 लाख नामों पर अभी फैसला नहीं हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि यह एक ड्राफ्ट है, अभी लोगों को अपने दावों और आपत्तियां के लिए पर्याप्त अवसर दिए जाएंगे।

सुनवाई के दौरान बेंच ने NRC समन्वयक से स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिज़र से जुड़े सवाल भी पूछे। बेंच ने कहा कि लोगों के सत्यापन में किस तरह की प्रक्रिया अपनाई जा रही है, यह जानकारी कोर्ट को उपलब्ध कराई जाए। बेंच ने इसके लिए 16 अगस्त की तारीख भी निर्धारित की है। कोर्ट ने केन्द्र सरकार को भी इस मामले में दावों और आपत्तियों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया बनाने के निर्देश दिए हैं।

गौरतलब है कि असम के नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) का फाइनल ड्राफ्ट रविवार को जारी किया गया था। इसमें 3, 29,91,380 लोगों में से 2,89,38, 677 को असम की नागरिकता के लिए योग्य पाया गया था। इस ड्राफ्ट में 40 लाख लोगों के नाम शामिल नहीं किए गए थे। इन 40 लाख लोगों को अवैध भारतीय माना जा रहा है। हालांकि सरकार की ओर से कहा गया है कि जिन लोगों के नाम ड्राफ्ट में शामिल नहीं किए गए हैं, उन्हें अपने दावे और आपत्तियों के लिए समय दिया गया है। बता दें इस मामले पर जमकर सियासी बहस छिड़ी हुई है। सोमवार और मंगलवार को सदन में भी इस ड्राफ्ट के खिलाफ विपक्षी दलों ने जमकर हंगामा किया।

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