सुप्रीम कोर्ट ने त्वचा से त्वचा संपर्क वाले बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर अपना फैसला सुरक्षित रखा
पॉक्सो एक्ट सुप्रीम कोर्ट ने त्वचा से त्वचा संपर्क वाले बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर अपना फैसला सुरक्षित रखा
- सुप्रीम कोर्ट ने त्वचा से त्वचा संपर्क वाले बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर अपना फैसला सुरक्षित रखा
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली अपीलों पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को बाल यौन अपराध संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत बरी कर दिया था और तर्क दिया था कि उसने लड़की की छाती को उसकी पोशाक के ऊपर से दबाया था। यानी त्वचा से त्वचा का संपर्क नहीं हुआ था।
इस मामले में विस्तृत दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति यू. ललित ने विभिन्न पक्षों के वकील से लिखित दलीलें दाखिल करने को कहा।
जस्टिस एस. रवींद्र भट और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने कहा, पार्टियां तीन दिनों के भीतर अपनी लिखित दलीलें दाखिल करने के लिए स्वतंत्र हैं। आदेश सुरक्षित। 27 जनवरी को अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल और राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने इसके खिलाफ अपील दायर की थी। इसके बाद शीर्ष अदालत ने फैसले पर रोक लगा दी थी।
महाराष्ट्र सरकार ने अटॉर्नी जनरल की दलीलों को अपनाया, जिन्होंने हाईकोर्ट के फैसले को अपमानजनक करार दिया और शीर्ष अदालत से इसे रद्द करने का आग्रह किया।
इस फैसले की आलोचना करते हुए उन्होंने तर्क दिया था कि तब तो सर्जिकल दस्ताने पहनने वाला व्यक्ति किसी महिला के पूरे शरीर को महसूस कर सकता है और उसे कोई सजा नहीं होगी।
इस मामले में एक बच्ची के साथ हुई घटना का वर्णन करते हुए अटॉर्नी जनरल ने कहा कि उस आदमी ने उसके स्तन को छुआ और उसकी सलवार नीचे खींच दी। बेटी चिल्लाई और मां उसे बचाने के लिए दौड़ी। इसके बाद मां ने शिकायत दर्ज कराई।
अटॉर्नी जनरल ने हाईकोर्ट के आदेश की आलोचना करते हुए जोर देकर कहा कि यह महाराष्ट्र में मजिस्ट्रेटों के लिए एक मिसाल बन जाएगा। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में 43,000 पॉक्सो अपराध हुए।
हाईकोर्ट ने कहा कि चूंकि आदमी ने कपड़े निकाले बिना बच्ची को टटोला, इसलिए इस अपराध को यौन हमला नहीं कहा जा सकता, बल्कि किसी महिला का शील भंग करना यौन अपराध है। इसने एक सत्र अदालत के आदेश को संशोधित किया, जिसमें 39 वर्षीय व्यक्ति को 12 वर्षीय लड़की के यौन उत्पीड़न के लिए तीन साल के कारावास की सजा सुनाई थी।
(आईएएनएस)