मोदी - शाह की रणनीति और तमिलनाडु की सियासत का भविष्य

मोदी - शाह की रणनीति और तमिलनाडु की सियासत का भविष्य

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-22 04:54 GMT
मोदी - शाह की रणनीति और तमिलनाडु की सियासत का भविष्य

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सोमवार को तमिलनाडु की राजनीति में जो हुआ, उसकी उम्मीद शायद ही किसी को होगी। क्योंकि लगभग 6 महीने पहले राज्य की सत्तारुढ़ पार्टी AIADMK जिस तरह से दो धड़ों में बंट गई थी, उससे यही आशंका जताई जा रही थी कि अब पार्टी का एक हो पाना मुश्किल है। लेकिन फरवरी में सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद पन्नीरसेल्वम ने एक बार फिर से सीएम पलानीस्वामी से हाथ मिला लिया। इसके साथ ही पन्नीरसेल्वम और पलानीस्वामी गुट में बंटी AIADMK एक बार फिर से एक हो गई और पन्नीरसेल्वम को पार्टी के संयोजक पद के साथ-साथ राज्य के डिप्टी सीएम के पद की जिम्मेदारी भी दी गई है। दोनों गुटों के मेल-मिलाप के पीछे बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की रणनीति को वजह बताया जा रहा है।

क्यों माना जा रहा है बीजेपी का हाथ? 

पन्नीरसेल्वम और पलानीस्वामी के साथ आने के बाद सबसे ज्यादा खुश कोई है तो वो बीजेपी है। क्योंकि इन दोनों के साथ आने से राज्य के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को फायदा होगा। पार्टी के दो गुट होने से विधानसभा चुनाव में इसका फायदा DMK को होता। DMK हमेशा से बीजेपी का धुर-विरोधी माना जाता रहा है, लेकिन अब दोनों के साथ आने से विधानसभा चुनाव में AIADMK को इसका फायदा मिलेगा। दोनों को साथ लाने में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का दिमाग है और समझा जा रहा है कि जल्द ही AIADMK, NDA में भी शामिल हो सकती है। इसके साथ ही AIADMK के सांसदों को मोदी कैबिनेट में जगह दी जा सकती है। इससे 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को भी फायदा होगा। साथ ही बीजेपी दक्षिण में भी अपनी स्थिति मजबूत करने में कामयाब होगी। साउथ में बीजेपी हमेशा से कमजोर रही है, हालांकि वहां पर RSS काफी मजबूत है, लेकिन उसके बावजूद भी चुनावों में बीजेपी को इसका फायदा नहीं मिल पाता है। लेकिन AIADMK के NDA में शामिल होने से बीजेपी दक्षिण के राज्यों में अपनी पैठ बनाने में कामयाब हो सकती है। इसके अलावा संसद में भी बीजेपी पहले से ज्यादा मजबूत हो जाएगी। AIADMK के संसद में 50 सांसद है, जिनमें से 37 लोकसभा और 13 राज्यसभा में है। इनके साथ आने से संसद में NDA की स्थिति मजबूत हो जाएगी। 

पहले ही शुरू हो गई थी दोनों को साथ लाने की रणनीति

तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की मौत के बाद राज्य में पन्नीरसेल्वम को सीएम बनाया गया। लेकिन जयललिता की खास मानी जाने वाली शशिकला ने AIADMK की कमान अपने हाथों में लेली और पलानीस्वामी को सीएम बना दिया और पन्नीरसेल्वम से इस्तीफा ले लिया। लेकिन इस्तीफे के बाद से पन्नीरसेल्वम बागी हो गए और पार्टी दो धड़ों में बंट गई। इसके बाद से ही बीजेपी इस पूरे मामले पर नजर बनाए रखी थी और शशिकला के जेल जाने के बाद बीजेपी ने पलानीस्वामी और पन्नीरसेल्वम को साथ लाने की कोशिशें तेज कर दी थी। बताया जा रहा है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दोनों को साथ लेने के लिए कई बार मीटिंग की। बीजेपी इस बात को अच्छे से समझती है कि अगर राज्य में अपनी पैठ बनानी है तो फिर AIADMK को साथ लेकर चलना होगा। यही कारण है कि शशिकला के जेल जाने के बाद से ही बीजेपी ने दोनों को साथ लाने के लिए अपनी कोशिशें तेज करदी थी। 

पीएम मोदी ने साथ आने पर दी बधाई

दोनों धड़ों के साथ आने के बाद पीएम मोदी ने ट्विट कर उन्हें बधाई दी। पीएम ने ट्विट किया, "मैं पन्नीरसेल्वम और उन सभी नेताओं को बधाई देता हूं जिन्होंने आज शपथ ली। मुझे उम्मीद है कि आने वाले सालों में तमिलनाडु और नई ऊंचाईयों को हासिल करेगा।"

आज राज्यपाल से मुलाकात करेंगे दिनाकरन

दोनों धड़़ों के साथ आने के बाद पार्टी में अलग-थलग पड़ चुके शशिकला के भतीजे दिनाकरन आज राज्यपाल विद्यासागर राव से मुलाकात करेंगे। दोनों के साथ आने के बाद दिनाकरन ने अब तक कुछ भी नहीं कहा है, हालांकि आज दिनाकरन पार्टी के कई विधायकों के साथ राज्यपाल से मिलने जाएंगे। माना जा रहा है कि उसके बाद दिनाकरन इस मसले पर कुछ कह सकते हैं। दिनाकरन की राज्यपाल से मुलाकात के बाद प्रदेश की राजनीति में और हलचल देखने को मिल सकती है। गौरतलब है कि शशिकला ने जेल जाने के बाद अपने भतीजे दिनाकरन को पार्टी की कमान सौंप दी थी। 
 

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