...तो कोई राज्य में तिरंगा थामने वाला नहीं होगा'
...तो कोई राज्य में तिरंगा थामने वाला नहीं होगा'
डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर की सीएम महबूबा मूफ्ती कश्मीर समस्या के लिए पड़ोसी देश से बातचीत करना चाहती हैं। शुक्रवार को एक सार्वजनिक कार्यक्रम में महबूबा ने घाटी के हालात पर बात की। अप्रत्यक्ष रूप से उन्होंने अलगाववादी नेताओं पर हुई कार्रवाई का विरोध किया है। महबूबा ने चेतावनी देते हुए कहा कि "अगर जम्मू कश्मीर के लोगों को मिले विशेषाधिकारों में किसी तरह का बदलाव किया गया, तो राज्य में तिरंगा को थामने वाला कोई नहीं रहेगा। एक तरफ हम संविधान के दायरे में कश्मीर मुद्दे का समाधान करने की बात करते हैं और दूसरी तरफ हम इसपर हमला करते हैं।"
सामाजिक समूह बीआरआईईएफ के कार्यक्रम आयोजित अंडरस्टेंडिंग कश्मीर के सत्र में महबूबा ने कहा कि "पीडीपी-भाजपा गठबंधन इस विश्वास और आशा पर है कि हम लोग पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जादुई समय को वापस लेकर आएंगे। कश्मीर के मुद्दों को हल करने के लिए अलगावदी नेताओं पर ANI की कार्रवाई अस्थायी उपाय है। कश्मीर समस्या पर पड़ोसी देश से बातचीत करना ही एकमात्र हल है। महबूबा ने आगे कहा कि "मेरी पार्टी सहित अन्य पार्टियां जो तमाम जोखिमों के बावजूद जम्मू कश्मीर में तिरंगा हाथों में थामे रखती हैं, मुझे ये कहने में बिलकुल भी संदेह नहीं है कि अगर इसमें कोई बदलाव किया गया, तो कोई भी तिरंगे को थामने वाला नहीं होगा।"
विशेषाधिकारों की मुखालफत
महबूबा ने विशेषाधिकारों की मुखालफत अनुच्छेद 35-ए की बात की है। दरअसल 2014 में एक एनजीओ ने रिट याचिका दायर कर अनुच्छेद 35-ए को निरस्त करने की मांग की थी। मामला उच्चतम न्यायालय के सामने लंबित है। महबूबा ने कहा कि कश्मीर भारत की परिकल्पना है। उन्होंने कहा कि बुनियादी सवाल है कि भारत का विचार कश्मीर के विचार को कितना समायोजित करने को तैयार है। यह इसका बुनियादी निचोड़ है।"
"लाहौर घोषणा" का दिया हवाला
महबूबा ने "लाहौर घोषणा" का हवाला देते हुए कहा कि हमें कारगिल और संसद पर हुए हमले के बाद भी उसे जिंदा करने की जरूरत है, क्योंकि "लाहौर घोषणा" में पाकिस्तान ने भारत को आश्वस्त किया था कि वो भारत विरोधी गतिविधियों के लिए अपनी जमीन का उपयोग नहीं होने देगा। राज्य के लोगों के मन से आजादी का विचार हटाने के लिए उनके सामने कुछ अन्य चीजें पेश करने की जरूरत है और साल 2005 में कश्मीर के आंतरिक मुद्दों को निपटाने के लिए बनाए गए कार्यकारी समूह पर ध्यान देने की निहायत जरूरत है।