मोदी के मंत्री की पर्यटकों को सलाह, 'अपने देश से खाकर आएं बीफ'

मोदी के मंत्री की पर्यटकों को सलाह, 'अपने देश से खाकर आएं बीफ'

Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-08 03:15 GMT
मोदी के मंत्री की पर्यटकों को सलाह, 'अपने देश से खाकर आएं बीफ'

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी के कैबिनेट का विस्तार किया जिसमें कई नए चेहरे शामिल किए गए। कैबिनेट विस्तार के बाद नए नवेले केंद्रीय टूरिज्म मंत्री बने केजे अल्फोंस ने पद संभालते ही अपने बयानों से सुर्खियां बनाना शुरू कर दिया है। 

हाल ही में भुवनेश्वर के एक कार्यक्रम में टूरिज्म मंत्री अल्फोंस ने विदेशी पर्यटकों को सलाह दे डाली कि "वो जब भी भारत आएं अपने देश से बीफ खा कर आएं।" अल्फोंज यहां आयोजित इंडियन असोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर्स के 33वें सम्मेलन में हिस्सा लेने आए थे। कार्यक्रम में एक पत्रकार ने बीफ बैन से टूरिज्म पर असर को लेकर सवाल पूछ था।  

बीफ लंबे वक्त से भारत में विवाद का मुद्दा रहा है। कई राज्यों में इसके बैन और गौरक्षा के नाम पर लोगों की हत्या जैसी घटनाओं के बाद बीफ पर किसी केंद्रीय मंत्री का इस तरह का बयान और भी विवादास्पद है। टूरिज्म मंत्री का ये बयान इसलिए भी चर्चा में हैं क्योंकि कुछ वक्त पहले अल्फोंस ने खुद बीफ खाने का समर्थन किया था।

आपको बता दें कि इससे पहले अल्फोंज ने कहा था "केरल के लोग बीफ खा सकते हैं।" वहीं मंत्री बनने के बाद भी उन्होंने बीफ का समर्थन किया था। अपने एक बयान में कहा था, "जैसे गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि उनके राज्य में बीफ पर कोई बैन नहीं लगाया जाएगा। ठीक इसी तरह केरल में भी यह (बीफ बिक्री) जारी रहेगी।"

जब पत्रकारों ने उनसे उनके पिछले कॉमेंट के बारे में पूछा तो वो सवाल टाल गए।

कौन है अल्फोंस ?

अल्फोंज कन्ननाथनम को पर्यटन मंत्रालय (स्वतंत्र प्रभार) सौंपा गया है। अल्फोंज कन्ननाथनम केरल कैडर के 1979 बैच के जाने माने पूर्व आईएएस ऑफिसर रह चुके हैं। अल्फोंज एक वकील भी हैं। डीडीए के कमिश्नर के तौर पर उन्होंने 15,000 अवैध इमारतों का अतिक्रमण हटाया, जिसके बाद वह दिल्ली के डिमॉलिशन मैन के रूप में प्रसिद्ध हो गए। 1994 में टाइम मैगजीन ने विश्व के 100 युवा ग्लोबल लीडर्स की सूची में भी अल्फोंज को शामिल किया। अल्फोंज का जन्म कोयट्टम जिले के मणिमाला नामक एक ऐसे गांव में हुआ था जहां बिजली तक नहीं थी। कलेक्टर के रूप में उन्होंने भारत के पहले साक्षरता आंदोलन का बीड़ा उठाया और 1989 में कोयट्टम को भारत का पहला 100 प्रतिशत साक्षर टाउन बनाकर दिखाया।

निर्दलीय विधानसभा सदस्य चुने गए 

अल्फोन्स ने 1994 में जनशक्ति नाम का एक एनजीओ बनाया जो नागरिकों के प्रति सरकार की जवाबदेही को लेकर लोगों में विश्वास लाने का काम करता है। आईएएस से रिटायर होने के बाद अल्फोन्स केरल के कन्जिराप्पल्ली से निर्दलीय विधानसभा सदस्य चुने गए। वो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2017 का फाइनल ड्राफ्ट बनाने वाली समिति के भी सदस्य रहे। अल्फोन्स ने "मेकिंग अ डिफरेंस" नामक पुस्तक भी लिखी है, जो बेस्टसेलिंग किताब बनी।

Similar News