Union Budget: आम आदमी को सता रहा महंगाई और खर्चों में बढ़ोत्तरी का डर, सर्वे में लोगों ने कही ये बात

Union Budget: आम आदमी को सता रहा महंगाई और खर्चों में बढ़ोत्तरी का डर, सर्वे में लोगों ने कही ये बात

Bhaskar Hindi
Update: 2021-02-02 05:26 GMT
Union Budget: आम आदमी को सता रहा महंगाई और खर्चों में बढ़ोत्तरी का डर, सर्वे में लोगों ने कही ये बात
हाईलाइट
  • अधिक बचत करने की अनुमति देगा या कोई फर्क नहीं पड़ेगा
  • क्या बजट खर्चें को बढ़ाएगा
  • स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर विशेष बल दिया

नई दिल्ली  (आईएएनएस)। आईएएनएस सी-वोटर बजट इंस्टा-पोल के अनुसार, लगभग 56 फीसदी लोगों का मानना है कि सोमवार को संसद में पेश किया गया केंद्रीय बजट उनके मासिक खर्च को बढ़ा देगा। इससे इतर केवल 16.1 प्रतिशत लोगों का यह मानना है कि इस बजट में जो प्रावधान किए गए हैं उसके परिणामस्वरूप उनके हाथों में अधिक पैसे बचेंगे। गौरतलब है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सोमवार को संसद में बजट की प्रस्तुति के बाद किए गए सर्वेक्षण में लगभग हर वर्ग से 1,200 लोगों को शामिल किया गया था।

सर्वेक्षणकर्ता ने तीन मापदंडों के माध्यम से प्रतिक्रियाओं का अनुमान लगाया - क्या बजट उनके खर्चें को बढ़ाएगा, उन्हें अधिक बचत करने की अनुमति देगा या कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इसके बाद इस सर्वेक्षण से मिलीं प्रतिक्रियाओं का मिलान 2013 के बाद से एकत्र किए गए प्रतिशत से किया गया।

सर्वेक्षण के अनुसार, पिछले साल 47.3 प्रतिशत की तुलना में इस वर्ष 56.4 प्रतिशत लोगों को उम्मीद है कि बजट उनके खर्चें को बढ़ा देगा। इस तरह का अनुमान 2019 में 39.7 प्रतिशत, 2018 में 64.4 प्रतिशत, 2017 में 54.3 प्रतिशत, 62.2 प्रतिशत 2016 में, 2015 में 64.4 प्रतिशत, 2014 में 72.9 प्रतिशत और 2013 में 81.2 प्रतिशत लोगों ने व्यक्त किया था।

मध्यम वर्ग के लिए कोई बड़ी राहत नहीं ...

बहरहाल, यह तुलनात्मक अध्ययन यह दर्शाता है कि अधिकांश लोगों का यह मानना था कि 2014 में राजग के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के सत्ता में आने से एक वर्ष पहले उनका खर्च बढ़ जाएगा। लेकिन ऐसा मानने वाले लोगों का प्रतिशत अब लगभग 25 प्रतिशत कम हो गया है, जो सरकार के लिए एक राहत की बात है। 

उल्लेखनीय है कि सीतारमण ने बजट में स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर विशेष बल दिया है, लेकिन मध्यम वर्ग के लिए कोई बड़ी राहत नहीं थी क्योंकि इस साल आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं हुआ। केंद्रीय बजट पेश होने के बाद 49.7 प्रतिशत लोगों को लगता है कि उनके भविष्य के खर्चें का प्रबंधन करना मुश्किल हो जाएगा, जबकि 34 प्रतिशत लोगों को लगता है कि खर्च बढ़ जाएगा, लेकिन इसका प्रबंधन (मैनेज करना) हो जाएगा। बजट पेश होने के बाद सोमवार को आईएएनएस सी-वोटर बजट इंस्टापोल में यह बात सामने आई। सर्वेक्षण देश के विभिन्न हिस्सों में 1,200 से अधिक लोगों के बीच किया गया। संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा केंद्रीय बजट के लाइव टेलीकास्ट के ठीक बाद सर्वे किया। सर्वे से पता चला है कि नौ प्रतिशत लोग नहीं जानते कि वे अगले एक साल के दौरान किस तरह से अपना खर्चा निकाल पाएंगे।

इस साल के बजट के बाद सर्वेक्षण में शामिल 49.7 प्रतिशत लोगों को लगता है कि भविष्य के खर्चें को प्रबंधित करना मुश्किल हो जाएगा। सर्वेक्षण में कहा गया है कि पिछले साल की तुलना में इस तरह की सोच रखने वाले लोगों में 11.8 प्रतिशत की गिरावट आई है, क्योंकि तब 38 प्रतिशत लोगों ने कहा था कि भविष्य के खर्चें को प्रबंधित करना मुश्किल हो जाएगा।

सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि 34 प्रतिशत को लगता है कि खर्च बढ़ जाएगा, लेकिन इसे प्रबंधित किया जा सकेगा, जिसमें पिछले साल की तुलना में 10.7 प्रतिशत का परिवर्तन देखने को मिला। वर्ष 2020-21 के केंद्रीय बजट के बाद 44.7 प्रतिशत लोगों ने महसूस किया था कि खर्च बढ़ेगा, लेकिन इसे मैनेज किया जा सकेगा।

सर्वे में शामिल 7.5 प्रतिशत लोगों ने महसूस किया कि दिन प्रतिदिन के खर्च में कमी आएगी, जो पिछले साल के बजट की तुलना में 1.9 प्रतिशत कम है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि 2014 का बजट, जो कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार द्वारा प्रस्तुत किया गया था, उसमें 42.1 प्रतिशत लोगों ने महसूस किया कि खर्च बढ़ जाएगा, लेकिन प्रबंधनीय रहेगा।

निष्कर्षो से पता चलता है कि 2014 में 20.4 प्रतिशत लोगों ने महसूस किया था कि उनके भविष्य के खचरें को प्रबंधित करना मुश्किल हो जाएगा, जबकि 23.1 प्रतिशत लोगों को लगता था कि उनके दिनभर के खर्च में कमी आएगी और उस समय 14.1 प्रतिशत लोगों ने इस संबंध में कोई टिप्पणी नहीं की थी।

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