Covid-19: डब्ल्यूएचओ ने कहा- युवाओं और स्वस्थ लोगों को 2022 तक करना पड़ सकता है वै​क्सीन का इंतजार

Covid-19: डब्ल्यूएचओ ने कहा- युवाओं और स्वस्थ लोगों को 2022 तक करना पड़ सकता है वै​क्सीन का इंतजार

Bhaskar Hindi
Update: 2020-10-15 18:12 GMT
Covid-19: डब्ल्यूएचओ ने कहा- युवाओं और स्वस्थ लोगों को 2022 तक करना पड़ सकता है वै​क्सीन का इंतजार
हाईलाइट
  • 2021 में मिल जाएगी कोरोना की वैक्सीन
  • इस साल मुश्किल ऑक्सफर्ड की वैक्सीन

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एक ओर जहां पूरी दुनिया इस साल के अंत या अगले साल की शुरुआत तक कोरोना वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) के आने की उम्मीद कर रही है। वहीं दूसरी ओर युवाओं और स्वस्थ लोगों को कोरोना की वैक्सीन के लिए 2022 तक का इंतजार करना पड़ सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने गुरुवार (15 अक्टूबर 2020) को कहा कि एक स्वस्थ और युवा व्यक्ति को कोरोनावायरस वैक्सीन प्राप्त करने के लिए 2022 तक इंतजार करना पड़ सकता है। स्वामीनाथन ने इस बात पर भी जोर दिया कि सबसे पहले वैक्सीन हेल्थ वर्कर्स और ऐसे लोगों को दी जाएगी जिन्हें इन्फेक्शन का खतरा ज्यादा होगा।

कोरोना वैक्सीन के लिए वैश्विक रूप से दर्जनों वैक्सीन कैंडीडेट के क्लीनिकल परीक्षण और इस वर्ष शुरुआती टीकाकरण की उम्मीद के बावजूद, डब्ल्यूएचओ की वैज्ञानिक ने दोहराया कि बड़े पैमाने पर शॉट्स की संभावना नहीं थी। इसके अलावा यह पता लगाने के लिए कि सुरक्षित वैक्सीन की खोज में सबसे पहले कौन बाजी मारेगा, इस पर उन्होंने कहा कि अभी इस पर काम किया जा रहा है। स्वामीनाथन ने द गार्जियन के हवाले से कहा कि ज्यादातर लोग इससे सहमत हैं कि टीकाकरण पहले स्वास्थ्य देखभाल करने वाले श्रमिकों और फ्रंट-लाइन श्रमिकों के साथ शुरू हो रहा है, लेकिन इसमें भी यह परिभाषित करने की जरूरत है कि उनमें से कौन सबसे अधिक जोखिम में है, इसमें बुजुर्ग प्राथमिकता पर होंगे।

2021 में मिल जाएगी कोरोना की वैक्सीन
डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि एक स्वस्थ और युवा व्यक्ति को कोरोनावायरस वैक्सीन प्राप्त करने के लिए 2022 तक इंतजार करना पड़ सकता है, क्योंकि सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारी पहले बुजुर्ग और अन्य कमजोर समूहों के टीकाकरण पर ध्यान केंद्रित करेंगे। स्वामीनाथन को उम्मीद है कि 2021 तक कम से कम एक प्रभावी टीका होगा, लेकिन यह केवल सीमित मात्रा में उपलब्ध होगा। स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को बताया कि भारत में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना के कुल 67,708 मामले सामने आए हैं, जिसके बाद देश में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 73,07,097 तक पहुंच चुकी है। देश में संक्रमण की वजह से पिछले 24 घंटों में 680 मौत हुई हैं।

इस साल मुश्किल ऑक्सफर्ड की वैक्सीन
इससे पहले ब्रिटेन की कोरोना वैक्सीन टास्क फोर्स की चीफ केट बिंघम ने कहा था कि ऑक्सफर्ड-AstraZeneca की वैक्सीन इस साल के अंत तक आ सकती है लेकिन इसकी ज्यादा संभावना है कि वैक्सीन अगले साल की शुरुआत में आएगी। इससे पहले इस बात की संभावना जताई जा रही थी कि साल के अंत तक इस वैक्सीन को इमर्जेंसी की हालत में इस्तेमाल करने की इजाजत मिल सकेगी। ब्रिटेन की वैक्सीन को इस रेस में सबसे आगे माना जा रहा था लेकिन बीच में इसके ट्रायल रोकने पड़े थे।

वैक्सीन की राह आसान नहीं
एक वॉलंटिअर के बीमार पड़ने के बाद दुनियाभर में करीब 30 हजार लोगों पर किए जा रहे ऑक्सफर्ड की वैक्सीन के ट्रायल रोक दिए गए थे। हालांकि, बाद में यह वापस शुरू हो गए। इसके बाद जॉनसन ऐंड जॉनसन की वैक्सीन के ट्रायल भी रोक दिए गए थे। कंपनी का दावा है कि वैक्सीन के ट्रायल अगर सफल पाए गए तो इस वैक्सीन की सिर्फ एक खुराक ही वायरस के खिलाफ सुरक्षा दे सकेगी। कंपनी का प्लान 60 हजार लोगों पर ट्रायल करने का है जो अगर दोबारा शुरू होता है, तो अब तक का सबसे बड़ा ट्रायल होगा। वहीं, ऐंटीबॉडी दवा बना रही कंपनी Eli Lilly के ट्रायल भी रोक दिए गए थे। हालांकि, कंपनी ने यह नहीं बताया था कि किस वजह से ट्रायल रोके गए।

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