बापू-शास्त्री की जयंती: सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर साधा निशाना, कहा- अन्नदाताओं के साथ घोर अन्याय कर रहे PM

बापू-शास्त्री की जयंती: सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर साधा निशाना, कहा- अन्नदाताओं के साथ घोर अन्याय कर रहे PM

Bhaskar Hindi
Update: 2020-10-02 06:04 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने वीडियो संदेश जारी किया है। सोनिया ने अपने मैसेज में नए कृषि कानूनों और किसानों की दशा को लेकर मोदी सरकार निशाना साधा है। सोनिया गांधी ने कहा, प्रधानमंत्री काले कानूनों को लागू करके किसानों के साथ घोर अन्याय कर रहे हैं।

सोनिया ने महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री दोनों को याद करते हुए कहा, भारत की आत्मा गांवों में बसती है, जबकि शास्त्री ने जय जवान, किसान किसान का नारा दिया था। उन्होंने कहा, आज देश के प्रधानमंत्री हमारे अन्नदाता किसानों पर घोर अन्याय कर रहे हैं। उनके साथ नाइंसाफी कर रहे हैं, जो किसानों के लिए कानून बनाए गए, उनके बारे में उनसे सलाह मशविरा तक नहीं किया गया। बात तक नहीं की गई, यही नहीं उनके हितों को नजरअंदाज करके सिर्फ चंद दोस्तों से बात करके किसान विरोधी तीन काले कानून बना दिए गए।

सोनिया गांधी ने कहा, उनकी पार्टी इन कानूनों का तब तक विरोध करती रहेगी, जब तक इन्हें हटा नहीं लिया जाता। उन्होंने कृषि उपज मंडी समिति एक्ट (एपीएमसी) हटाने के लिए सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि, कोरोना महामारी के दौरान जरूरतमंदों को मु़फ्त में अनाज किसानों की मेहनत के चलते मिला। आज जब अनाज मंडियां खत्म कर दी जाएंगी, जमाखोरों को अनाज जमा करने की खुली छूट दी जाएगी और किसानों की जमीनें खेती के लिए पूंजीपतियों को सौंप दी जाएंगी, तो करोड़ों छोटे किसानों की रक्षा कौन करेगा?

राहुल पंजाब में 3 अक्टूबर से करेंगे ट्रैक्टर रैली
देशभर में कृषि कानूनों के खिलाफ कांग्रेस पार्टी शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन कर रही है। पार्टी के सूत्रों ने गुरुवार को कहा, राहुल गांधी पंजाब में 3 से 5 अक्टूबर तक ट्रैक्टर रैली करेंगे। पंजाब मामलों के प्रभारी और कांग्रेस महासचिव हरीश रावत और प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ के साथ पंजाब के सभी मंत्री और कांग्रेस विधायक विरोध प्रदर्शन रैलियों में भाग लेंगे। पार्टी ने कहा, विरोध प्रदर्शन और किसानों के दर्द को आवाज देना है, जिसकी आजीविका और भविष्य को केंद्रीय कानून द्वारा दांव पर लगा दिया गया है।

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