18 वर्ष से पेयजल के लिए तरस रहे भंडारा के 6 गांव

18 वर्ष से पेयजल के लिए तरस रहे भंडारा के 6 गांव

Anita Peddulwar
Update: 2020-08-26 09:50 GMT
18 वर्ष से पेयजल के लिए तरस रहे भंडारा के 6 गांव

डिजिटल डेस्क,  तुमसर (भंडारा)।  मुख्यमंत्री पेयजल योजना की जलापूर्ति गत 18 वर्ष से बंद होने के कारण परसवाड़ा (दे.) समेत परिसर के कुल छह ग्रामों के नागरिकों को पेयजल के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। बताया जाता है कि जब तक यह योजना महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण (मजीप्रा) चला रही थी, तब तक सबकुछ ठीक से चल रहा था, लेकिन इस योजना को मुख्यमंत्री पेयजल योजना में हस्तांतरित करने के तीन माह बाद से यह योजना बंद कर दी गई। जिला परिषद प्रशासन भी योजना चलाने को लेकर उदासीन दिखाई दे रहा है।  

देव्हाड़ी परिसर के परसवाड़ा (दे.), मांगली, खापा, हसारा, स्टेशनटोली, ढोरवाड़ा इन ग्रामों को जलापूर्ति करने के लिए मजीप्रा ने पेयजल योजना शुरू की गई थी। इसके कुछ समय बाद इस योजना को मुख्यमंत्री पेयजल योजना में ट्रांसफर कर दिया गया। 18 वर्षों पूर्व तीन करोड़ रुपए खर्च कर इसका निर्माण किया गया था। इस निधि से टंकी, पाइप-लाइन, पेयजल शुद्धिकरण यंत्र व नदी पर कुएं का निर्माण किया गया।

 निर्माणकार्य पूर्ण होते ही जीवन प्राधिकरण विभाग ने इसे मुख्यमंत्री पेयजल योजना में स्थानांतरित कर दिया। इस कारण अब इस योजना को जिला परिषद संभाल रही है। प्रायोगिक रूप से तीन माह तक योजना चलाई गई। उस समय परसवाड़ा (दे.) में नागरिकों को पेयजल कनेक्शन दिया गया, किंतु बाद में लाखों रुपए का विद्युत बिल आने का हवाला देकर योजना बंद करने का निर्णय लिया गया। वहीं हसारा व खापा में स्वतंत्र पेयजलापूर्ति योजना होने से नागरिकों ने मुख्यमंत्री पेयजल योजना की जरूरत महसूस नहीं की। 

सभी गांवों के बीच तालमेल जरूरी
परसवाड़ा (दे.) समेत छह ग्रामों में मुख्यमंत्री पेयजल योजना शुरू करने का प्रयास किया गया। योजना शुरू हुई तो विद्युत बिल बढ़कर आया। छह ग्रामों के प्रशासन को मिलकर इस योजना को शुरू करने के लिए तालमेल रखना चाहिए।  - रवि ढाकोले, सहायक अभियंता, 

मुख्यमंत्री पेयजल योजना, भंडारा
संपूर्ण जिले में मुख्यमंत्री योजना की देखभाल व नियंत्रण के लिए केवल दो अभियंता है। कार्य करते समय इन्हें भागमभाग करनी पड़ती है। कर्मचारियों के अभाव के चलते कार्य में बाधा आ रही है।  
 

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