सावरगांव तालाब पर विदेशी मेहमानों ने डाला डेरा

चंद्रपुर सावरगांव तालाब पर विदेशी मेहमानों ने डाला डेरा

Anita Peddulwar
Update: 2023-03-28 10:40 GMT
सावरगांव तालाब पर विदेशी मेहमानों ने डाला डेरा

डिजिटल डेस्क,  चंद्रपुर । जैसे-जैसे मौसम बदलता है, वैसे पक्षियों का भी बसेरा बदलता हंै। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी नागभीड़ तहसील के सावरगांव तालाब पर विदेशी मेहमानों ने डेरा डाला है। इनमें विशेषकर हेडेड गूज (राजहंस) का समावेश है। जो मध्य एशिया में पर्वतीय झीलों के पास 28 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरकर हिमालय के ऊपर से, तिब्बत, कजाकिस्तान, रूस और मंगोलिया से होकर यहां पहुंचे हैं। एक दिन में 1600 किमी की उड़ान भरने की क्षमता वाले हेडेड गूज का झुंड अक्टूबर माह में ठंड के मौसम की शुरुआत में ही महाराष्ट्र समेत पूरे देश में आया है। जो मार्च माह के अंत में लौट जाता हैं। लेकिन यहां सावरगांव तालाब में राजहंसों का डेरा बना हुआ है। जिससे उन्हें इस तालाब की आबोहवा पसंद आ रही है। यही कारण है कि बार हेडेड गूज हर वर्ष यहां आ रहे हैं। जिसे देखने के लिए पर्यटकों की भीड़ उमड़ रही है। सावरगांव तालाब पर सुबह करीब 10 की संख्या में राजहंस दिखाई दिए। साथ ही चक्रांग (कामन टेल), तलवार बदक (नार्दन पिनटेल), थापाट्या, नदिसूय, शेकाट्या जैसे पक्षी भी नजर आ रहे हैं। इस संबंध में पक्षी प्रेमी रोशन धोतरे ने बताया कि पहले यह पक्षी एक-दो आते थे। लेकिन अब इन की संख्या 13 से 14 हो गई है। लगभग 2 से 3 किलो वजन वाले राजहंसों के सिर और गर्दन पर काला निशान होता है। इनका रंग पीला ग्रे होता है। सिर पर दो काली पट्टियों के साथ उनके सफेद पंख होते हैं। पैर मजबूत और नारंगी रंग के होते हैं। इनकी लंबाई 68 से 78 सेमी और पंखों का फैलाव 140 से 160 सेमी होता है। जो पक्षी मित्रों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। इस कारण पर्यटकों की भीड़ उमड़ रही है।

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