ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में उत्कृष्ट काम कर रही है अर्थिस्म: सुमित बिलगैया

अर्थिस्म ग्रीन एनवायरो ने अपने सफर की शुरुआत वर्ष 2019 में गुजरात के गांधीधाम में पहले बायोफ्यूल प्लांट से की। इसके बाद कंपनी ने सूरत में दूसरा प्लांट स्थापित किया। दोनों यूनिट मिलकर फिलहाल करीब 6,000 मीट्रिक टन बायोफ्यूल का वार्षिक उत्पादन कर रही हैं।
अब कंपनी ने अपने काम का विस्तार करने का फैसला लिया है। इसके तहत मध्यप्रदेश में विदिशा में और नर्मदापुरम में प्लांट बनाए हैं। वहीं, हरियाणा के यमुनगर और महाराष्ट्र के नागपुर में एक-एक प्लांट तैयार किया गया है। इन प्लांटों के शुरू होने के बाद कंपनी की कुल उत्पादन क्षमता बढ़कर 20 हजार मीट्रिक टन प्रति वर्ष हो जाएगी। इससे न केवल स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
सुमित बिलगैया का दृष्टिकोण
“अर्थिस्म ग्रीन एनवायरो प्राइवेट लिमिटेड मेरे लिए सिर्फ एक कंपनी नहीं है। यह एक विचार है, एक मिशन है।
ऐसा मिशन जो स्वच्छ ऊर्जा, बेहतर भविष्य और मजबूत ग्रामीण अर्थव्यवस्था की ओर आगे बढ़ रहा है।”
— सुमित बिलगैया, डायरेक्टर, अर्थिस्म ग्रीन
भरोसेमंद और किफायती ऊर्जा समाधान
अर्थिस्म ग्रीन एनवायरो प्राइवेट लिमिटेड प्राकृतिक कृषि संसाधनों से स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा बनाने में अग्रणी भारतीय कंपनी है। कंपनी आधुनिक तकनीक के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाले बायोमास फ्यूल तैयार करती है,
जो कोयले व पारंपरिक ईंधनों का प्रभावी और पर्यावरण-अनुकूल विकल्प साबित होते हैं।
कच्छ–गांधीधाम के रणनीतिक स्थान से संचालित अर्थिस्म, लगभग 15 वर्षों के उद्योग अनुभव के साथ भारत की ग्रीन एनर्जी ट्रांजिशन को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
प्राकृतिक अवशेषों को उपयोगी ऊर्जा में बदलकर कंपनी न सिर्फ प्रदूषण घटाने में योगदान दे रही है, बल्कि उद्योगों को एक भरोसेमंद और किफायती ऊर्जा समाधान भी उपलब्ध करा रही है।
पृथ्वी ग्रीन फ्यूल के रूप में शुरू हुई यह संस्था आज एक पेशेवर, विस्तारशील और पर्यावरण-संवेदी संगठन के रूप में स्वच्छ ऊर्जा के नए मानक स्थापित कर रही है।
अर्थव्यवस्था को ग्रीन एनर्जी से नई ताकत
अर्थिस्म ग्रीन एनवायरो के विस्तार से गांवों और छोटे कस्बों में रोजगार के नए अवसर बढ़ेंगे। प्लांट लगने से स्थानीय युवाओं को काम मिलेगा, परिवहन और सप्लाई चेन नेटवर्क मजबूत होगा और ग्रामीण बाजारों में आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी।
बिलगैया का मानना है कि यदि तकनीक, किसान और उद्योग साथ मिलकर काम करें, तो भारत ग्रीन एनर्जी का एक बड़ा हब बन सकता है।
सलाहकार से ग्रीन एनर्जी उद्यमी तक
बिलगैया पहले निवेश सलाहकार थे। रिसर्च के दौरान उन्हें ग्रीन एनर्जी के भविष्य का महत्व समझ आया।
उन्होंने स्थिर नौकरी छोड़कर करीब छह साल पहले ‘अर्थिस्म ग्रीन एनवायरो प्राइवेट लिमिटेड’ की स्थापना की और बायोफ्यूल, सोलर और क्लीन एनर्जी को बढ़ावा देना शुरू किया।
मध्यप्रदेश, हरियाणा और महाराष्ट्र में विस्तार
कंपनी अब गुजरात से आगे बढ़कर मध्यप्रदेश के विदिशा और नर्मदापुरम, हरियाणा के यमुनगर और महाराष्ट्र के नागपुर में भी प्लांट स्थापित कर रही है।
किसानों के लिए आय का नया साधन
बिलगैया कहते हैं, “ग्रीन एनर्जी सिर्फ फैक्ट्रियों के लिए नहीं, किसानों के लिए भी कमाई का नया मौका है।”
फसल अवशेष जो किसान अक्सर जला देते हैं—अर्थिस्म उसे खरीदकर बायोफ्यूल बनाने में उपयोग करती है।
इससे किसानों को अतिरिक्त आय, साफ खेत और बेहतर मिट्टी मिलती है।
फसल कटाई के बाद किसान SMS भेजेंगे, और कंपनी ट्रक भेजकर अवशेष उठा ले जाएगी।
ग्रीन एनर्जी—विकल्प नहीं, जरूरत
दुनिया में बायोफ्यूल की मांग बढ़ रही है।
अर्थिस्म अपने उत्पादन को बढ़ाकर देश की सबसे बड़ी बायोफ्यूल निर्माता बनने की दिशा में काम कर रही है।
कंपनी सोलर ऊर्जा और CBG (Compressed Bio Gas) के क्षेत्र में भी बड़े स्तर पर कदम बढ़ाने जा रही है।
Created On :   25 Nov 2025 5:41 PM IST












