जनवरी से अप्रैल के बीच नोटबंदी ने छीनीं 15 लाख नौकरियां

जनवरी से अप्रैल के बीच नोटबंदी ने छीनीं 15 लाख नौकरियां
जनवरी से अप्रैल के बीच नोटबंदी ने छीनीं 15 लाख नौकरियां

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बुधवार 8 नवंबर को नोटबंदी का एक साल पूरा हो गया है। केन्द्र सरकार अपने इस फैसले को एक बड़ी कामयाबी के रूप में पेश कर रही है और धूमधाम से इसकी सालगिरह मना रही है, दूसरी ओर कुछ आंकड़े ऐसे हैं जो बीजेपी के इस जश्न में खलल डालने के लिए पर्याप्त हैं। नोटबंदी से भारतीय अर्थव्यवस्था किस तरह डांवाडोल हुई, कितने उद्योग-धंधे बंद हुए, GDP को कितना नुकसान हुआ ये सब जगजाहीर है। पिछले 1 साल के दौरान कईं बार नोटबंदी से अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान के आंकड़े जारी हुए है। हाल ही में जारी हुए सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़े भी सरकार को परेशान करने वाले हैं।

 

CMIE आंकड़ों के अनुसार, नोटबंदी के चलते बड़ी संख्या में रोजगार छीनें गए। आंकड़ों की मानें तो, इस साल जनवरी से अप्रैल के बीच करीब 15 लाख नौकरियां चली गईं। यही नहीं नईं नौकरियां तो पैदा ही नहीं की जा सकी। आंकड़ों के अनुसार सभी क्षेत्रों में फाइनेंस ईयर 2016-17 में पिछले फाइनेंस ईयर की तुलना में नौकरियों में कमी आयी है। सीएमआईई का यह आंकड़ा अखिल भारतीय हाउसहोल्ड सर्वे पर आधारित है जिसमें पूरे देश के 1,61,167 घरों के 5,19,285 लोगों से बात की गई है। CMIE द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक जनवरी-अप्रैल 2017 के दौरान देश में कुल 40.50 करोड़ नौकरी पेशा लोग थे जबकि इससे पहले के 4 महीनों में ये संख्या 40.65 करोड़ थी।

 

श्रम मंत्रालय के आंकड़े भी कुछ यही बयां कर रहे हैं। मंत्रालय के अक्टूबर-दिसंबर-2016 की तिमाही के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल के आखिरी तीन महीनों में 1 लाख 52 हज़ार कैज़ुअल और 46,000 पार्ट टाइम नौकरियां चली गईं। शेयर बाजार में  लिस्टेड कंपनियों के रिकार्ड भी बताते हैं कि नौकरियां घटी हैं। 107 कंपनियों में 14,668 नौकरियां घटी हैं। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के आंकड़ें भी कुछ ऐसे ही संकेत दे रहे हैं। इन आंकड़ो के अनुसार, 2017 के पहले हफ्ते तक का आंकड़ा बताता है कि 30 लाख 67 हजार छात्रों को  प्रशिक्षित किया गया, मगर इनमें से 3 लाख से भी कम को रोजगार मिला।
 

Created On :   8 Nov 2017 6:43 PM IST

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