अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता की कोई बात नहीं : अरुण जेटली

Arun jaitley accepted fiscal discipline balanced is a challenge
अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता की कोई बात नहीं : अरुण जेटली
अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता की कोई बात नहीं : अरुण जेटली

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने देश की अर्थव्यवस्था को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान जारी किया है। ब्लूमबर्ग इंडिया इकॉनामिक फोरम में बोलते हुए जेटली ने माना है कि राजकोषीय अनुशासन को बनाए रखना एक चुनौती है। उन्होंने कहा कि इन सबके बावजूद अर्थव्यवस्था को लेकर फिलहाल ऐसी स्थिति नहीं है कि जिसे लेकर चिंतित हुआ जाए।

वित्तमंत्री जेटली ने कहा कि गिरती विकास दर को थामने और उसे फिर से पटरी पर लाने की पूर्ण कोशिश की जा रही है। वित्त मंत्री ने कहा, "हमें प्रतिकूल वैश्विक माहौल का सामना करना पड़ रहा था और इसके बावजूद मैं यह संतोष के साथ कहूंगा कि हमने मोटे तौर पर अर्थव्यवस्था को पटरी पर रखा है।" जेटली ने कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के उपायों पर विचार कर रही है। हालांकि उन्होंने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि सरकार अर्थव्यवस्था के लिए पैकेज का ऐलान करेगी या नहीं।

जेटली ने कहा कि मुझे लगता है कि फिलहाल हम राजकोषीय समझदारी बनाए रखने की चुनौती का सामना कर रहे हैं। अरुण जेटली ने कहा, "वैश्विक कारकों के प्रतिकूल रहने के बावजूद सरकार ने मोटे तौर पर अर्थव्यवस्था को पटरी पर रखा है। हालांकि सार्वजनिक खर्च में बढ़ोतरी से महंगाई बढ़ने का खतरा रहता है। साथ ही राजकोषीय घाटे को कम करने का सरकार का लक्ष्य भी प्रभावित होता है। अकसर रेटिंग एजेंसियां भी सार्वजनिक खर्च बढ़ने के उपायों का समर्थन नहीं करती दिखती हैं। वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार इस तरह के परस्पर विरोधी पहलुओं को समझती है।"

उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि सुधार की दिशा में आगे बढ़ने, अधिक पारदर्शी एवं अधिक वास्तविक राजकोषीय अनुशासन बनाये रखने के साथ वृद्धि दर को बनाये रखने के मामले में पूर्व की तुलना में बेहतर रहे और आगे बढ़ने में कामयाब रहे।"

गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में GDP वृद्धि दर 5.7 प्रतिशत रही जो तीन साल का न्यूनतम स्तर है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार 40,000-50,000 करोड़ रुपये का राहत पैकेज दे सकती है। GDP वृद्धि दर में गिरावट के साथ निर्यात के समक्ष भी कई चुनौतियां हैं। औद्योगिक वृद्धि भी पांच साल में सबसे कम है। चालू खाते का घाटा भी वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बढ़कर 2.4 प्रतिशत तक पहुंच गया है।

Created On :   22 Sep 2017 6:20 PM GMT

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