कैग की रिपोर्ट में खुलासा : अधिक मूल्य के मामलों में निगम कर निर्धारण में अनियमितताएं हुईं

CAG report revealed: Irregularities in corporation tax assessment in cases of high value
कैग की रिपोर्ट में खुलासा : अधिक मूल्य के मामलों में निगम कर निर्धारण में अनियमितताएं हुईं
व्यापार कैग की रिपोर्ट में खुलासा : अधिक मूल्य के मामलों में निगम कर निर्धारण में अनियमितताएं हुईं
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रत्यक्ष कर पर कैग की ऑडिट रिपोर्ट ने 6,304.56 करोड़ रुपये के कर प्रभाव वाले अधिक मूल्य के मामलों के निगम कर निर्धारण में महत्वपूर्ण त्रुटियों और अनियमितताओं के 57 उदाहरणों की ओर ध्यान आकर्षित किया। मार्च 2021 में समाप्त वित्तवर्ष के लिए केंद्र सरकार के प्रत्यक्ष करों पर नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट बुधवार को संसद में पेश की गई, जिसमें 8,413.10 करोड़ रुपये के कर प्रभाव वाले 467 ऑडिट ऑब्जर्वेशन शामिल हैं। कैग की रिपोर्ट के अनुसार, 7,788.98 करोड़ रुपये के कर प्रभाव वाले निगम कर से संबंधित अधिक मूल्य के 319 मामले बताए गए हैं। ये मामले मुख्य रूप से आय और कर की गणना में अंकगणितीय त्रुटियों, ब्याज तय करने में त्रुटियों, मूल्यह्रास/व्यावसायिक घाटे/पूंजीगत हानियों की अनुमति देने में अनियमितताओं, व्यापार व्यय की गलत अनुमति, अस्पष्टीकृत निवेश/नकदी ऋण आदि से संबंधित थे। मंत्रालय/आईटीडी ने 5,845.39 करोड़ रुपये के कर प्रभाव वाले 165 मामलों को स्वीकार किया, लेकिन 114.73 करोड़ रुपये के कर प्रभाव वाले आठ मामलों को स्वीकार नहीं किया। हालांकि, 319 मामलों में से आईटीडी ने 6,506.10 करोड़ रुपये के कर प्रभाव वाले 183 मामलों में उपचारात्मक कार्रवाई पूरी कर ली है और 345.34 करोड़ रुपये के कर प्रभाव वाले 27 मामलों में सुधारात्मक कार्रवाई शुरू कर दी है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि शेष 109 मामलों में आईटीडी ने जुलाई 2022 तक कोई कार्रवाई शुरू नहीं की। कैग की रिपोर्ट में कहा गया है, अधिक मूल्य के 319 मामलों में से हमने 6,304.56 करोड़ रुपये के कर प्रभाव वाले निगम कर आकलन में महत्वपूर्ण त्रुटियों/अनियमितताओं के 57 उदाहरणों पर ध्यान केंद्रित किया। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तवर्ष 2019-20 में निगम कर से संग्रह 17.8 प्रतिशत घटकर 5.57 लाख करोड़ रुपये से वित्तवर्ष 2020-21 में 4.58 लाख करोड़ रुपये हो गया और आयकर वित्तवर्ष 2019 में 4.80 लाख करोड़ रुपये से 2 प्रतिशत कम हो गया। ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है, मांग का बकाया वित्तवर्ष 2019-20 के 16.2 लाख करोड़ रुपये से घटकर वित्तवर्ष 2020-21 में 15.1 लाख करोड़ रुपये रह गया। हालांकि वित्तवर्ष 2019-20 की तुलना में वित्तवर्ष 2020-21 में कुल बकाया मांग में 6.63 प्रतिशत की कमी आई है, लेकिन वित्तवर्ष 2020-21 की तुलना में वसूली करना मुश्किल के रूप में वर्गीकृत मांग मामूली रूप से बढ़कर कुल बकाया मांग का 98.26 प्रतिशत हो गई, जो वित्तवर्ष 2019-20 में 97.61 प्रतिशत थी। सीएजी ने कर और अधिभार की गलत दरों को लागू करने, ब्याज लगाने में त्रुटियां, अधिक या अनियमित रिफंड आदि आईटीडी में आंतरिक नियंत्रणों की कमजोरियों को इंगित करने की सिफारिश की है।

(आईएएनएस)

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Created On :   21 Dec 2022 9:00 PM IST

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