अरहर का भाव घटने पर भी उपभोक्ताओं को नहीं मिली सस्ती दाल

Consumers did not get cheap pulses even after the price of pigeon pea
अरहर का भाव घटने पर भी उपभोक्ताओं को नहीं मिली सस्ती दाल
अरहर का भाव घटने पर भी उपभोक्ताओं को नहीं मिली सस्ती दाल
हाईलाइट
  • दिल्ली के नया बाजार स्थित दलहन मंडी में शुक्रवार को लेमन तुअर का भाव 5
  • 400 रुपये प्रति क्विंटल था
  • जबकि खुदरा बाजार में तुअर की दाल 90 रुपये प्रति किलो मिल रही थी
  • देश की दलहन मंडियों में अरहर (तुअर) के भाव में बीते दो महीने में तकरीबन 500-600 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई है
  • लेकिन उपभोक्ताओं सस्ती दाल अब तक नसीब नहीं हुई है
नई दिल्ली, 2 अगस्त (आईएएनएस)। देश की दलहन मंडियों में अरहर (तुअर) के भाव में बीते दो महीने में तकरीबन 500-600 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई है, लेकिन उपभोक्ताओं सस्ती दाल अब तक नसीब नहीं हुई है।

दिल्ली के नया बाजार स्थित दलहन मंडी में शुक्रवार को लेमन तुअर का भाव 5,400 रुपये प्रति क्विंटल था, जबकि खुदरा बाजार में तुअर की दाल 90 रुपये प्रति किलो मिल रही थी। ब्रांडेड अरहर दाल की कीमत इससे भी ज्यादा है।

मुंबई में लेमन तुअर का भाव 5,250 रुपये प्रति क्विंटल और अकोला मंडी में देसी तुअर का भाव 5,925 रुपये प्रति क्विंटल था, जबकि देसी तुअर का भाव सीजन के दौरान 6,500 रुपये प्रति क्विंटल तक चला गया था।

कारोबारियों ने बताया कि सरकार द्वारा तुअर के आयात कोटा में इजाफा करने के बाद कीमतों में गिरावट आई।

दरअसल, अरहर का उत्पादन इस साल देश में कम होने के कारण बीते महीने जून में इसकी कीमतों में जोरदार उछाल आया जिसके बाद सरकार ने अरहर के आयात का कोटा दो लाख टन से बढ़ाकर चार लाख टन करने का फैसला लिया।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी तीसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार, बीते फसल वर्ष 2018-19 (जुलाई-जून) में देश में तुअर का उत्पादन 35 लाख टन है जबकि पिछले फसल वर्ष 2017-18 के दौरान देश में तुअर का उत्पादन 42.9 लाख टन था।

आल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने बताया कि देश में तुअर दाल की औसत खपत 40-45 लाख टन है। आगे चार लाख टन आयात और 35 लाख टन उत्पादन को मिलाकर कुल आपूर्ति फिर भी 39 लाख टन ही होती है। इस प्रकार, खपत मांग की तुलना में आपूर्ति कम होने से आने वाले दिनों में तुअर के दाम में इजाफा होने की संभावना बनी हुई है।

हालांकि कारोबारी फिलहाल इस इंतजार में हैं कि आयातित तुअर की आपूर्ति बढ़ने से कीमतों पर दबाव आ सकता है। मतलब कीमत घट सकती है, लेकिन बकौल सुरेश अग्रवाल को इसमें संदेह है। उन्होंने कहा कि मौजूदा भाव से कम पर आयातित तुअर के बिकने की संभावना कम है।

नया बाजार के दलहन कारोबारी संजय सेठ ने बताया कि सरकारी एजेंसी नैफेड ने एमएसपी पर तुअर व अन्य दलहनों की खरीद की है लेकिन इसकी बिक्री वह कम भाव पर करती है, जिससे कारोबारियों को नुकसान होता है। लिहाजा, कारोबारी इस समय सतर्कता बरत रहे हैं।

फसल वर्ष 2018-19 में सरकार ने तुअर का न्यनूतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5,675 रुपये प्रति क्विं टल तय किया था जबकि आगामी खरीफ सीजन 2019-20 के लिए तुअर का एमएसपी 5,800 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है।

सेठ ने कहा, पिछले कुछ दिनों से दलहन मंडियों में कारोबार ठंडा पड़ा है। न तो लेवाल है और न ही बिकवाल।

दलहन बाजार विश्लेषक मुंबई के अमित शुक्ला ने बताया कि बर्मा से तुअर का आयात फिलहाल हो रहा है और आने वाले दिनों में 20,000 टन तुअर बर्मा से आने वाली है। उन्होंने कहा कि आयातित तुअर बाजार में आने पर कीमतों में थोड़ी नरमी देखने को मिल सकती है। हालांकि चालू बुवाई सीजन में तुअर का रकबा कम होने से कीमतों को सपोर्ट बना रहेगा।

कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पिछले सप्ताह तक तुअर का रकबा देशभर में 29.58 लाख हेक्टेयर था जोकि पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 4.99 लाख हेक्टेयर कम है।

--आईएएनएस

Created On :   2 Aug 2019 10:00 PM IST

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