दिल्ली हाईकोर्ट ने कैडबरी के ट्रेडमार्क का उल्लंघन करने वाली कंपनी को किया प्रतिबंधित, 16 लाख रुपये का ठोंका जुर्माना

Delhi High Court bans company for infringing Cadburys trademark, fined Rs 16 lakh
दिल्ली हाईकोर्ट ने कैडबरी के ट्रेडमार्क का उल्लंघन करने वाली कंपनी को किया प्रतिबंधित, 16 लाख रुपये का ठोंका जुर्माना
नई दिल्ली दिल्ली हाईकोर्ट ने कैडबरी के ट्रेडमार्क का उल्लंघन करने वाली कंपनी को किया प्रतिबंधित, 16 लाख रुपये का ठोंका जुर्माना

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने भ्रामक रूप से मिलते-जुलते ट्रेडमार्क जेम्स बॉन्ड का इस्तेमाल कर कैडबरी के ट्रेडमार्क जेम्स के उल्लंघन के लिए एक निर्माता को प्रतिबंधित कर दिया है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने ब्रिटिश चॉकलेट निर्माता को हुए नुकसान के लिए ट्रेडमार्क का उल्लंघन करने वाली कंपनी पर लगभग 16 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह ने अपने एक हाल के आदेश में कहा, वादी (कैडबरी) का जेम्स उत्पाद भारत में सबसे लोकप्रिय और प्रसिद्ध चॉकलेट उत्पादों में से एक है। लगभग सभी का बचपन वादी के कैडबरी जेम्स/जेम्स के सेवन से जुड़ा है। कैडबरी (अब मोंडेलेज इंडिया फूड्स प्राइवेट लिमिटेड के रूप में जाना जाता है) द्वारा 2005 के मुकदमे की सुनवाई करते हुए अदालत ने यह फैसला सुनाया, जिसमें कंपनी ने नीरज फूड प्रोडक्ट्स (प्रतिवादी) के खिलाफ अपने ट्रेडमार्क का उल्लंघन करने के लिए स्थायी निषेधाज्ञा और हर्जाना मांगते हुए आवेदन दायर किया था।

अदालत ने आगे कहा कि प्रतिवादी यह स्थापित करने में विफल रहा है कि वादी का निशान (मार्क) कैडबरी जेम्स/जेम्स व्यापार के लिए आम (कॉमन) है। इसने आगे बताया कि जेम्स उत्पाद भी आमतौर पर शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में छोटे बच्चों द्वारा खाया जाता है। ऐसे मामले में टेस्ट पूर्ण भ्रम का नहीं है। यहां तक कि भ्रम की संभावना भी पर्याप्त है। प्रतिवादी के उल्लंघन करने वाले उत्पाद और उसकी पैकेजिंग की तुलना करने से कोई संदेह नहीं रह जाता है कि यह वादी के कैडबरी जेम्स की पूरी तरह से नकल है।

अदालत ने कहा, महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि ये उत्पाद न केवल बड़े पैक में, बल्कि छोटे पिलो पैक में भी बेचे जाते हैं, जिसके कारण निशान या मार्क पूरी तरह से दिखाई भी नहीं दे सकते हैं। आदेश में आगे कहा है, चॉकलेट न केवल बड़े खुदरा स्टोर या आउटलेट में बेचे जाते हैं, बल्कि सड़क के किनारे, पान की दुकानों, पेट्री विक्रेताओं, किराना स्टोर और स्कूलों के बाहर स्टालों आदि पर भी बेचे जाते हैं। इस प्रकार, भ्रम की अत्यधिक संभावना है, विशेष रूप से उपभोक्ताओं के उस वर्ग को ध्यान में रखते हुए, जिस पर उत्पाद लक्षित है, अर्थात बच्चे।

पक्षों (दोनों पार्टी) के विस्तृत प्रस्तुतीकरण के बाद, अदालत ने कहा, तदनुसार, वादी के पक्ष में 15,86,928 रुपये की वास्तविक लागत (जुर्माना) निर्धारित की जाती है। आदेश में, अदालत ने कहा कि प्रतिवादी अदालत के समक्ष अपनी उपस्थिति में अनियमित रहा है और उसने 2005 के मुकदमे में हुई देरी में भी योगदान दिया है।

तमाम दलीलों पर गौर करते हुए अदालत ने अंत में कहा, प्रतिवादी ने उल्लंघनकारी पैकेजिंग के तहत चॉकलेट बेचने से भी इनकार नहीं किया है। रिकॉर्ड पर रखी गई प्रतिवादी की खोज रिपोर्ट से पता चलता है कि प्रतिवादी ने वादी के उत्पाद के समान चित्रण और नीले/बैंगनी रंग के साथ एक पैकेजिंग को अपनाया था। इसलिए , जेम्स बॉन्ड/जेमी बॉन्ड के तहत बेचे गए प्रतिवादी के उत्पाद की आक्षेपित पैकेजिंग ने स्पष्ट रूप से कैडबरी जेम्स चिह्न् के तहत वादी के अधिकारों का उल्लंघन किया है, साथ ही, उक्त मार्क के तहत बेचे गए उत्पादों के संबंध में कॉपीराइट का भी उल्लंघन किया है।

 

 (आईएएनएस)

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Created On :   27 July 2022 6:00 PM IST

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