Crude oil: ओपेक-रूस करार लागू होने पर संशय, कच्चे तेल में तेजी के आसार कम

Doubt on the implementation of the OPEC-Russia agreement, the possibility of a rise in crude oil less
Crude oil: ओपेक-रूस करार लागू होने पर संशय, कच्चे तेल में तेजी के आसार कम
Crude oil: ओपेक-रूस करार लागू होने पर संशय, कच्चे तेल में तेजी के आसार कम

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली (आईएएनएस)। कोरोना के कहर से पस्त कच्चे तेल के बाजार में मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन लाने के मकसद से तेल निर्यातक देशों का समूह ओपेक और रूस ने तेल के उत्पादन में एक करोड़ बैरल रोजाना कटौती करने का करार किया है। हालांकि इस शर्तिया करार के लागू होने पर संशय बरकरार है, इसलिए उर्जा विशेषज्ञों का मानना है कि इससे कच्चे तेल में तेजी लौटने के आसार कम हैं।

ओपेक का मुखिया व अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का उत्पादक सऊदी अरब और दुनिया के तीसरे सबसे बड़े उत्पादक रूस के बीच बीते सप्ताह तेल उत्पादन कटौती को लेकर आखिरकार एक ऐतिहासिक करार हुआ। इस करार के मुताबिक सऊदी अरब और गैर ओपेक देश रूस दोनों मिलकर 50 लाख बैरल रोजाना तेल की कटौती करेगा और बाकी 50 लाख बैरल रोजाना की कटौती ओपेक के अन्य सदस्य देश करेंगे। इस बीच ओपेक के सदस्य मेक्सिको ने उत्पादन कटौती की शर्त को मानने से इन्कार कर दिया।

उर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि ओपेक अब पहले जैसा शक्तिशाली संगठन नहीं रह गया है इसलिए उत्पादन कटौती को लेकर जो करार हुआ है उसके लागू होने पर संशय है। यही बात एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट (एनर्जी एवं करेंसी) अनुज गुप्ता ने भी कही। बकौल गुप्ता तेल के दाम पर बहरहाल दबाव बना रहेगा।

तनेजा ने कहा, यह आगे देखना होगा कि ओपेक के सदस्य इस करार का कितना पालन करते हैं। साथ ही, अगर कोरोनावायरस के कारण दुनिया की अर्थव्यवस्था में मंदी का आलम बना रहा, तो उत्पादन कटौती के इस करार से भी ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस के प्रकोप के कारण तेल की मांग करीब 35 फीसदी घट गई, इसलिए एक करोड़ बैरल रोजाना की कटौती से तेल बाजार को बहुत सपोर्ट नहीं मिल पाएगा।

तनेजा ने कहा, एक करोड़ बैरल रोजाना कटौती का जो रेफरेंस रखा गया है वह फरवरी का है, जब कच्चे तेल का उत्पादन ज्यादा था। इसलिए, उत्पादन कटौती लागू होने पर भी कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि दुनिया में रोजाना तेल की आपूर्ति तकरीबन 10 करोड़ बैरल है, जबकि कोरोनावायरस के प्रकोप के कारण चरमराई आर्थिक गतिविधियों के कारण तेल की वैश्विक मांग 35 फीसदी जबकि भारत में 25 फीसदी घट गई है।

अनुज गुप्ता ने कहा कि तेल की मांग इतनी कम हो गई है कि एक करोड़ बैरल रोजाना की कटौती से बाजार में मांग और आपूर्ति में संतुलन बनाना मुश्किल है। साथ ही, इस शर्तिया करार के लागू होने पर भी ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। उन्होंने कहा कि कोरोना ने जिस कदर दुनियाभर में कहर बरपाया है उससे वैश्विक अर्थव्यवस्था को उबरने में काफी वक्त लगेगा, इसलिए तेल के दाम पर दबाव बना रहेगा।

ओपेक और रूस के बीच उत्पादन कटौती को लेकर करार के बावजूद पिछले सप्ताह गुरुवार को अमेरिकी लाइट क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट का मई अनुबंध पिछले सत्र से 7.49 फीसदी की गिरावट के साथ 23.21 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ और बेंचमार्क कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड का जून डिलीवरी अनुबंध पिछले सत्र से महज 0.16 फीसदी की बढ़त के साथ 31.82 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ।

बता दें कि सउदी अरब और रूस के बीच उत्पादन कटौती का यह करार अमेरिकी हस्तक्षेप के बाद हुआ, इसलिए अमेरिका चाहेगा कि इसका पालन हो।

 

Created On :   12 April 2020 8:01 AM GMT

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