जेटली का पलटवार- पेट्रोल पर टैक्स में अपना हिस्सा क्यों नहीं घटातीं विपक्ष की राज्य सरकारें

Finance Minister Arun Jaitley on inflation and Petrol-Diesel
जेटली का पलटवार- पेट्रोल पर टैक्स में अपना हिस्सा क्यों नहीं घटातीं विपक्ष की राज्य सरकारें
जेटली का पलटवार- पेट्रोल पर टैक्स में अपना हिस्सा क्यों नहीं घटातीं विपक्ष की राज्य सरकारें

जिटल डेस्क, नई दिल्ली। डीजल-पेट्रोल की बढ़ी हुई कीमतों को लेकर लगातार विपक्ष के हमले झेल रही सरकार ने बुधवार को पलटवार किया। कैबिनेट की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा जो लोग इस समय महंगाई की बात कर रहे हैं, उनके कार्यकाल में मुद्रा स्फीति 11 फीसदी तक जा पहुंची थी। इसके विपरीत इस समय मुद्रा स्फीति 3.36 फीसदी के स्तर पर है। उन्होंने कहा मुद्रास्फीति पूरी तरह नियंत्रण में है। केंद्र सरकार आर्थव्यवस्था को गति देने के लिए अतिरिक्त उपाय कर रही है। उन्होंने आश्वस्त किया कि जल्दी ही सब कुछ पटरी पर आ जाएगा।

कांग्रेस-वाम दलों की चिंता आश्चर्यजनक 
अरुण जेटली ने कहा कांग्रेस और वाम दलों का पेट्रोल को लेकर अचानक इतना चिंतित हो जाना आश्चर्य में डालने वाला है। दो साल पहले जब पेट्रोल के दाम कम होते थे, तो पंजाब, दिल्ली, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की राज्य सरकारें वैट बढ़ा देती थीं। कांग्रेस व वाम सरकारें पेट्रोल पर टैक्स से कमाई करने में लगी हैं। अरुण जेटली ने कहा केंद्र को पेट्रोल पर जितना कर मिलता है, उसका 42 फीसदी राज्यों को जाता है। कांग्रेस और वाम दल अगर सचमुच पेट्रोल के बढ़ते दामों से चिंतित हैं, तो वे अपने शासन वाले राज्यों में पेट्रोल पर कर लेना बंद क्यों नहीं कर देते।

जेटली ने कहा धर्मार्थ कार्यों से नहीं चलतीं सरकारें
पेट्रोल पर टैक्स घटाने की संभावना को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा पेट्रोल के दामों में उतार-चढ़ाव के लिए कई बातें जिम्मेदार हो सकती हैं। इस समय अमेरिका में आए तूफान की वजह से विश्व की रिफाइनिंग कपैसिटी प्रभावित हुई है। इसकी वजह से दाम बढ़ाने पड़े हैं। लेकिन यह अस्थाई दौर है। हम जल्दी ही इससे आगे निकल जाएंगे। कोई सरकार केवल धर्मार्थ कार्यों से नहीं चलती। उसे चलाने के लिए राजस्व चाहिए। हम राष्ट्रीय विकास से जुड़ी परियोजनाओं में तो कटौती नहीं कर सकते। उन्होंने कहा इस स्थिति पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए। 

आधी हुई कच्चे तेल की कीमत, दाम नहीं थमे 
पेट्रोल-डीजल के लगातार बढ़ते दामों ने राजनीतिक दलों के साथ-साथ आम लोगों को भी चिंतित किया है। हाल के दिनों में कच्चे तेल के दाम लगातार कम हो रहे हैं। लेकिन कंज्यूमर एंड पर लोगों को सीमा से अधिक दाम चुकाने पड़ रहे हैं। 
-26 मई 2014 को जब भाजपा सत्ता में आई थी, तब कच्चे तेल की कीमत 6330.65 रुपये प्रति बैरल थी और प्रति डॉलर रुपये की कीमत 58.59 थी। -11 सितंबर 2017 को कच्चे तेल की कीमत करीब-करीब आधी घटकर 3368.39 रुपये प्रति बैरल पर आ गई जबकि प्रति डॉलर रुपये की कीमत 63.89 हो गए।
पेट्रोल के अंतराष्ट्रीय मूल्यों में आई गिरावट के बाद भी कंज्यूमर एंड पर पेट्रोल के दामों में कोई गिरावट नहीं आई।

केंद्र की कमाई बढ़ी तीन गुना 
इस साल एक जुलाई से पूरे देश में लागू नई कर व्यवस्था जीएसटी से पेट्रोल-डीजल को बाहर रखा गया है। इन पर केंद्र एवं राज्यों के अलग-अलग टैक्स लगाए जा रहे हैं। अब अगर केंद्रीय करों की बात करें तो सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, केंद्र में भाजपा सरकार आने के बाद से डीजल पर लागू एक्साइज ड्यूटी में 380 फीसदी और पेट्रोल पर 120 फीसदी का इजाफा हो चुका है। इस दौरान केद्र सरकार को इस मद से हुई कमाई भी तीन गुना से ज्यादा बढ़ गई है। 

राज्यों ने इस तरह बढ़ाए वैट/सेल्स टैक्स
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की ओर से 27 मार्च 2017 को लोकसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक, अप्रैल 2014 में 10 राज्यों ने डीजल पर 20 फीसदी से ज्यादा वैट लगा रखे थे, लेकिन अगस्त 2017 में ऐसे राज्यों की तादाद बढ़कर 15 हो गई। इसी तरह, अप्रैल 2014 में डीजल पर सबसे ज्यादा 25 फीसदी वैट छत्तीसगढ़ ने लगा रखा था, जबकि अगस्त 2017 में यह आंकड़ा 31.06 प्रतिशत तक पहुंच गया, जो आंध्र प्रदेश का है। अप्रैल 2014 में 17 राज्यों ने पेट्रोल पर कम-से-कम 25 प्रतिशत वैट लगा रखे थे और अगस्त 2017 में ऐसे राज्यों की संख्या बढ़कर 26 पर पहुंच गई। अप्रैल 2014 में पेट्रोल पर सबसे ज्यादा 33.06 प्रतिशत वैट पंजाब ने लगा रखे थे, लेकिन अगस्त 2017 में 48.98 प्रतिशत के साथ महाराष्ट्र टॉप पर पहुंच गया।

किसकी कितनी हुई कमाई?
-मोदी सरकार के कार्यकाल में अनब्रैंडेड पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में 11 बार बदलाव हुए।
-1 अप्रैल 2014 को डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 3.56 रुपये प्रति लीटर थी जो 380% की वृद्धि के साथ 17.33 रुपये पर पहुंच चुकी है।
-1 अप्रैल 2014 को पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 9.48 रुपये प्रति लीटर थी जो 120% की वृद्धि के साथ 21.48 रुपये पर पहुंच गई है।
-सन 2013-14 में केंद्र सरकार को पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी से 77982 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी, जो 2016-17 में बढ़कर 242691 रुपये हो गई।
-129045 करोड़ रुपये से बढ़कर 166378 करोड़ रुपये हो गई इस दौरान वैट एवं सेल्स टैक्स से राज्यों की कमाई 
-कई राज्यों ने पेट्रोल-डीजल पर वैट प्रतिशत में अच्छी-खासी वृद्धि की, लेकिन उनकी आमदनी में आनुपातिक रूप से कम इजाफा हुआ, क्योंकि पिछले तीन सालों में कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय दामों में भारी गिरावट की वजह से पेट्रोल-डीजल की बेस प्राइस भी बहुत कम हो गई।

Created On :   20 Sep 2017 3:48 PM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story