वित्तमंत्री 5 अगस्त को ंबैंक प्रमुखों से मिलेंगी

Finance Minister will meet the Head of Bank on August 5
वित्तमंत्री 5 अगस्त को ंबैंक प्रमुखों से मिलेंगी
वित्तमंत्री 5 अगस्त को ंबैंक प्रमुखों से मिलेंगी
हाईलाइट
  • इससे जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की रफ्तार बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा सकेंगे
  • केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण सार्वजनिक क्षेत्र (पीएसयू) के बैकों के प्रमुखों और निजी क्षेत्र के मुख्य बैंकों के प्रमुखों के साथ 5 अगस्त को विभिन्न क्षेत्रों के क्रेडिट ग्रोथ (कर्ज उठाव) की समीक्षा के लिए बैठक करेंगी
  • जिसमें एमएसएमइज
  • रिटेल
  • ऑटो
  • एनबीएफसीज और एचएफसीज क्षेत्र शामिल हैं
नई दिल्ली, 2 अगस्त (आईएएनएस)। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण सार्वजनिक क्षेत्र (पीएसयू) के बैकों के प्रमुखों और निजी क्षेत्र के मुख्य बैंकों के प्रमुखों के साथ 5 अगस्त को विभिन्न क्षेत्रों के क्रेडिट ग्रोथ (कर्ज उठाव) की समीक्षा के लिए बैठक करेंगी, जिसमें एमएसएमइज, रिटेल, ऑटो, एनबीएफसीज और एचएफसीज क्षेत्र शामिल हैं। इससे जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की रफ्तार बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा सकेंगे।

शुक्रवार को जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि वित्तमंत्री एमएसएमई सेक्टर पर यू.के. सिन्हा समिति की रिपोर्ट पर कार्रवाई के लिए अंतिम निर्णय और समय-सीमा को को लेकर अगले हफ्ते विभिन्न हितधारकों से मुलाकात करेंगी।

बयान में कहा गया कि समिति द्वारा प्रस्तावित सिफारिशों में अंतर-मंत्रालयी समन्वय शामिल है। वित्त मंत्रालय अगले हफ्ते राजस्व और व्यय विभागों, एमएसएमई मंत्रालय, और आईटी, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्पोरेट मामलों के मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय के साथ ही दूरसंचार मंत्रालय के साथ भी समयसीमा और कार्रवाई निर्धारित करने के लिए बैठक करेंगी।

यू.के. सिन्हा की अगुवाई वाली विशेषज्ञ समिति एमएसएमई क्षेत्र में सुधार के लिए अपनी सिफारिशें जून में सौंपी थीं और नोटबंदी व जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) तथा तरलता के संकट से आहत छोटे व्यवसायों को राहत देने के लिए टेक्सटाइल अपग्रेडेशन फंड स्कीम की तर्ज पर एमएसएमइज के लिए 5,000 करोड़ रुपये के एसेट फंड का सुझाव दिया था।

वाहन क्षेत्र की भी जुलाई में बिक्री काफी मंद रही।

वहीं, एफएमसीजी (तेज खपत उपभोक्ता वस्तुएं) क्षेत्र में भी ग्रामीण बाजारों में मांग में कमी आने से मंदी देखी जा रही है। बढ़ती आर्थिक मंदी के साथ निवेश पर असर पड़ा है और कर्ज की मांग घटी है। शहरी और ग्रामीण और दोनों ही क्षेत्रों में उपभोक्ता मांग में कमी आई है। इसके अलावा इस साल मॉनसून में अनियमित बारिश ने ग्रामीण मांग को प्रभावित किया है।

--आईएएनएस

Created On :   2 Aug 2019 11:00 PM IST

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