वित्त वर्ष 2021 में राजकोषीय घाटा बढ़कर जीडीपी का 6.8 प्रतिशत हो सकता है : रपट

वित्त वर्ष 2021 में राजकोषीय घाटा बढ़कर जीडीपी का 6.8 प्रतिशत हो सकता है : रपट
वित्त वर्ष 2021 में राजकोषीय घाटा बढ़कर जीडीपी का 6.8 प्रतिशत हो सकता है : रपट
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नई दिल्ली, 1 जुलाई (आईएएनएस)। कोविड-19 महामारी के कारण पैदा हुए आर्थिक व्यवधानों के कारण इस साल भारत का राजकोषीय घाटा बढ़कर जीडीपी का 6.8 प्रतिशत हो सकता है। यह बात बुधवार को एक ब्रोकरेज कंपनी की एक रपट में कही गई है।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर एमके ग्लोबल फायनेंसियल सर्विसिस की एक रपट के अनुसार, कम आर्थिक गतिविधि और कम कर संग्रह तथा उसके ऊपर मनरेगा, पीएम किसान जैसी योजनाओं में विस्तारित खर्च तथा पीएम गरीब कल्याण योजना का नवंबर, 2020 तक विस्तार ने एक ऐसा परिदृश्य खड़ा किया है, जहां घाटा बढ़ेगा।

राजकोषीय घाटा साल में सरकार के राजस्व और खर्च के अंतर को कहते हैं।

राजकोषीय घाटा की चिंता मौजूदा वित्त वर्ष के प्रथम दो महीनों में मौजूदा राजकोष के रुझानों को देखने से पैदा हुई है। शुद्ध राजस्व प्राप्तियों में कमी और बढ़े हुए खर्च के कारण राजकोषीय घाटा अप्रैल-मई की अवधि के दौरान बजट अनुमान का 59 प्रतिशत हो गया है। बजट अनुमान के अनुपात में यह दो साल का उच्चस्तर है।

इससे बड़ी बात यह कि सकल कर आमद नकारात्मक है, क्योंकि प्रत्यक्ष कर संग्रह, कर जमा करने की तिथि में मोहलत दिए जाने के कारण वर्ष दर वर्ष आधार पर 15 प्रतिशत घट गया है, जबकि अप्रत्यक्ष कर संग्रह जीएसटी फाइलिंग में मोहलत के कारण 52 प्रतिशत घट गया है।

एमके ने अपनी रपट में कहा है, हमारा मानना है कि नामिनल जीडीपी वृद्धि में एक गंभीर सुस्ती के कारण सकल कर संग्रह वित्त वर्ष 2021 में वर्ष दर वर्ष आधार पर 5.3 प्रतिशत गिर जाएगा। विवाद से विश्वास योजना इस अनुमान का कारण है। अन्य गैर कर राजस्व की कम आमद के कारण वर्ष दर वर्ष आधार पर गैर कर राजस्व संग्रह भी 62 प्रतिशत घट जाएगा। प्राप्तियां भी सात वर्ष के निचले स्तर पर हैं।

Created On :   1 July 2020 9:00 PM IST

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