50,000 करोड़ के पैकेज से रफ्तार पकड़ेगी आर्थिक सुस्ती ?

government can soon announce a relief package of Rs 50,000 crore
50,000 करोड़ के पैकेज से रफ्तार पकड़ेगी आर्थिक सुस्ती ?
50,000 करोड़ के पैकेज से रफ्तार पकड़ेगी आर्थिक सुस्ती ?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आर्थिक विकास में तेजी लाने के लिए केंद्र सरकार जल्द ही 50 हजार करोड़ रुपए के राहत पैकेज का ऐलान कर सकती है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार आर्थिक विकास को गति देने के लिए मार्च 2018 तक अतिरिक्त 50 हजार करोड़ रुपए (7.7 अरब डॉलर) खर्च किए जा सकते हैं। सूत्रों के अनुसार विमुद्रीकरण और जीएसटी व्यवस्था लागू करने के बाद आई अर्थव्यस्था की सुस्ती को दूर करने के लिए केंद्र सरकार राहत पैकेज की घोषणा जल्द कर सकती है। इससे वित्तीय घाटा 0.5 फीसदी बढ़ सकता है।

जेटली ने दिए थे संकेत
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कैबिनेट बैठक के बाद बुधवार को संकेत दिए थे कि आर्थिक विकास को गति देने के लिए सरकार राहत पैकेज का ऐलान कर सकती है। उन्होंने कहा था कि इकॉनमी को गति करने के अतिरिक्त उपायों पर विचार किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, सरकार ने भारतीय अर्थव्यवस्था की सुस्ती दूर करने के लिए कार्य योजना तैयार करेगी। इसको लेकर अलग-अलग मंत्रालयों के साथ विचार किया जा रहा है। जिस क्षेत्र में तेजी लाने के लिए जितनी राहत पैकेज की जरूरत होगी, उसे उस हिसाब से राशि दी जाएगी।

रोजगार बढ़ाने पर रहेगा मुख्य जोर
सूत्रों के अनुसार इस कार्ययोजना में मुख्य जोर उन क्षेत्रों पर दिया जाएगा, जिनमें ज्यादा रोजगार पैदा होने की संभावनाएं हैं। इस समय रोजगार सृजन को लेकर केंद्र सरकार विशेष रूप से आलोचनाओं के केंद्र में है। केंद्र सरकार की योजना है कि इसमें विनिर्माण, ऊर्जा, ढ़ांचागत परियोजना और सूचना तकनीक से जुड़े विभागों के कामकाज को गति देकर रोजगार के नए अवसर पैदा किए जाएं। राहत पैकेज के तहत सरकार, कर में छूट भी दे सकती है और इसका भार खुद उठा सकती है। गौरतलब है कि मोदी सरकार ने इस साल वित्तीय घाटे का लक्ष्य, जीडीपी की तुलना में 3.2 फीसदी रखा है। वित्तीय घाटा के मायने है कि आमदनी और खर्च के बीच का अंतर।

विकास की गति धीमी रही तो आगे निकल जाएगा चीन
वित्त मंत्रालय के एक उच्चाधिकारी के अनुसार इस समय अर्थव्यवस्था में सुस्ती का माहौल है। ऐसे में जरूरी है कि सबसे पहले अर्थव्यवस्था को ठीक किया जाए। यही कारण है कि इसके लिए वित्तीय घाटे में बढ़ोतरी से समझौता करने की मजबूरी है। जून तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट घटकर 5.7 फीसदी पर आ गया। अगले तिमाही में जीडीपी ग्रोथ को 7 से 7.5 फीसदी नहीं किया तो फिर चालू वित्त वर्ष में आर्थिक विकास की दर छह फीसदी से कम पर आ सकती है। इधर एसबीआई रिसर्च ने हाल ही अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अगर सरकार ने इकॉनमी रिफॉर्म की प्रक्रिया तेज नहीं की तो देश की आर्थिक विकास दर छह फीसदी से कम पर आ सकती है। ऐसे में विकास के मामले में चीन भारत से आगे निकल जाएगा।

Created On :   21 Sept 2017 11:17 PM IST

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