कच्चे तेल की कीमतों में आयी तेजी का बोझ सरकार करे वहन

Government should bear the burden of rise in crude oil prices: MoFSI
कच्चे तेल की कीमतों में आयी तेजी का बोझ सरकार करे वहन
एमओएफएसआई कच्चे तेल की कीमतों में आयी तेजी का बोझ सरकार करे वहन
हाईलाइट
  • पेट्रोल -डीजल के दाम में 22 मार्च को पहला संशोधन किया गया था

डिजिटल डेस्क, नयी दिल्ली। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में आयी तेजी का बोझ सरकार को वहन करना चाहिये और जब इसके दाम 15 प्रतिशत से भी अधिक बढ़ जायें तो ग्राहकों के साथ इसका बोझ साझा किया जा सकता है।

ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि केंद्र सरकार के पास इतनी वित्तीय क्षमता है कि वह वित्तीय घाटे के लक्ष्य के साथ बिना छेड़छाड़ किये कच्चे तेल की कीमतों की तेजी का बोझ झेल सकती है।

अगर कच्चे तेल के दाम वित्त वर्ष 23 में 80 डॉलर प्रति बैरल हो जाते हैं (पहले 70 डॉलर प्रति बैरल थे)और सरकार पूरे बोझ का वहन करती है तो भी इससे अगले साल 12 से 13 अरब डॉलर का बिल बढ़ेगा, जो सकल घरेलू उत्पाद का 0.4 प्रतिशत है।

ब्रोकरेज फर्म ने सिफारिश की है कि सरकार को ही कच्चे तेल की कीमतों में आयी तेजी का बोझ वहन करना चाहिये और जब उसके दाम 15 प्रतिशत से अधिक बढ़ जायें तो ग्राहकों पर इसका असर होना चाहिये।

गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम करीब 35 से 40 प्रतिशत बढ़ गये हैं। बढ़ी हुई कीमतों के कारण चार माह से अधिक समय के बाद घरेलू बाजार में पेट्रोल -डीजल के दाम में 22 मार्च को पहला संशोधन किया गया था।

आईएएनएस

Created On :   26 March 2022 8:30 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story