सरकार का पेट्रोल-डीजल के रोजाना दाम से मतलब नहीं : प्रधान

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। पेट्रोल की कीमत में आई उछाल के कारण आम जनता बहुत परेशान है। हाल ही में पेट्रोल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी के बाद बीते तीन साल में ये सबसे महंगा हो गया है। ऐसी स्थिति में देश की सरकार ने भी अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं। गौरतलब है कि बुधवार को पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पेट्रोल और डीजल के दाम के दैनिक आधार पर समीक्षा करने से रोकने के लिए सरकार के हस्तक्षेप से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि ईंधन के दाम में बिना सोच-विचार किए बदलाव नहीं किया जा सकता।
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के प्रमुखों के साथ बैठक के बाद उन्होंने कहा, ‘सरकार का तेल कंपनियों के रोजाना के कामकाज से कोई लेना-देना नहीं है। केवल कुशलता ऐसा क्षेत्र है जहां सरकार तेल कंपनियों की दक्षता में सुधार के लिए हस्तक्षेप करेगी।’ आपको बता दें कि ईंधन के दाम में जुलाई के बाद से 7.3 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है।
संवाददाताओं ने प्रधान से पूछा था कि क्या मूल्य वृद्धि को देखते हुए सरकार की दैनिक आधार पर कीमत में बदलाव की प्रक्रिया रोकने की योजना है, जिससे उन्होंने इनकार कर दिया। केंद्रीय मंत्री ने तीन जुलाई से कीमतों में बढ़ोतरी के प्रभाव को हल्का करने के लिए टैक्स कटौती को लेकर भी कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई। उन्होंने कहा कि सरकार को ढांचागत सुविधा और सामाजिक बुनियादी ढांचे के बड़े पैमाने पर वित्त पोषण की जरूरत है।
9 बार बढ़ा उत्पाद शुल्क
आपको बता दें कि सरकार ने नवंबर 2014 और जनवरी 2016 के दौरान नौ बार पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाया है। अंतराष्ट्रीय स्तर पर ईंधन के दाम में नरमी को देखते हुए उत्पाद शुल्क बढ़ाए गए हैं। कुल मिलाकर इस दौरान पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 11.77 रुपये प्रति लीटर तथा डीजल पर 13.47 रुपये की वृद्धि की गई। शुल्क वृद्धि से सरकार का 2016-17 में उत्पाद शुल्क संग्रह बढ़कर 2,42,000 करोड़ रुपए हो गया।
Created On :   14 Sept 2017 11:39 AM IST