विश्वप्रसिद्ध पश्मीना शॉल को हिमाचल दे रहा बढ़ावा

Himachal is promoting world famous Pashmina shawl
विश्वप्रसिद्ध पश्मीना शॉल को हिमाचल दे रहा बढ़ावा
विश्वप्रसिद्ध पश्मीना शॉल को हिमाचल दे रहा बढ़ावा

शिमला, 3 जून (आईएएनएस)। दुनिया भर में मशहूर पश्मीना शॉल को हिमाचल प्रदेश बढ़ावा दे रहा है। इस बारे में बुधवार को पशुपालन मंत्री ने जानकारी दी।

चांगथांगी नाम की यह भेड गरीबी से त्रस्त जनजातियों की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने आईएएनएस को बताया कि राज्य में सालाना 1,000 किलोग्राम पश्मीना ऊन का उत्पादन होता है और इसका उत्पादन पांच साल में दोगुना करने का लक्ष्य है।

ये बकरियां कश्मीर की प्रसिद्ध पश्मीना शॉल के लिए ऊन उपलब्ध कराती हैं, जो दुनिया भर में इसकी भारी मांग को पूरा करती हैं।

उन्होंने कहा कि राज्य राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत चंबा जिले के लाहौल-स्पीति और किन्नौर जिलों और पांगी में बर्फ से निर्मित क्षेत्रों में परिवारों को चंगथंगी और चेगू नस्ल की 638 भेड मुहैया कराएगा।

इस वित्तीय वर्ष में ही यह पशुधन उपलब्ध कराया जाएगा।

वर्तमान में, पशमीना का उत्पादन मुख्य रूप से दारचा, योची, ररिक-चिका गांवों और लाहौल में मेयर घाटी के अलावा किन्नौर जिले के स्पीति, नाको, नामग्या और लियो में किब्बर, लंग्जा और हेंगंग के अलावा चंबा की पांगी घाटी में होता है।

राज्य में लगभग 10 संगठित शॉल निर्माण इकाइयां काम कर रही हैं। लगभग 90 फीसदी पश्मीना ऊन का उपयोग शॉल, स्टोल और मफलर जैसे अन्य उत्पाद बनाने में किया जाता है और बाकी का उपयोग हाई-एंड कोट ट्वीड्स बनाने में होता है।

बता दें कि पश्मीना उत्पादकों को पारिश्रमिक मूल्य मिल रहा है। वर्तमान में, कच्चे पश्मीना की कीमत लगभग 3,500 रुपये प्रति किलोग्राम है।

संगठित और असंगठित क्षेत्र में, राज्य में लगभग 12,000 कारीगर काम कर रहे हैं। वहीं ये राज्य 2,500 चंगथंगी बकरियों का घर है।

Created On :   3 Jun 2020 5:30 AM GMT

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