चीन को पछाड़ भारत बना तेजी से बढ़ने वाली इकोनॉमी, 7.2 रही GDP

- पीएम के इकनॉमिक अडवाइजरी काउंसिल के चेयरमैन विवेक देबरॉय है
- भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकोनॉमी
- वित्त वर्ष 2017-18 की तीसरी तिमाही में इंडिया की जीडीपी 7.2 फीसदी रही है। (पहली तिमाही 5.7 प्रतिशत (13 तिमाही के निचले स्तर) पर पहुंच गए थे और दूसरी तिमाही में 6.5 प्रतिशत थी )
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकोनॉमी बन गई है। वित्त वर्ष 2017-18 की तीसरी तिमाही में इंडिया की जीडीपी 7.2 फीसदी रही है। ये अन्य देशों के मुकाबले सबसे ज्यादा है। जीडीपी की इस रफ्तार के बूते भारत ने चीन को भी पीछे छोड़ दिया है। मालूम हो कि 2017-18 के दूसरे क्वॉर्टर में जीडीपी दर 6.5 प्रतिशत रही थी। इस क्वॉर्टर में घरेलू और अन्य वैश्विक कारणों की वजह से अर्थशास्त्रियों ने देश की जीडीपी ग्रोथ रेट कम रहने का अनुमान जताया था।
ये रहे बढ़ोतरी के कारण
सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 2017-18 के अक्टूबर-दिसंबर क्वॉर्टर के दौरान जीडीपी ग्रोथ रेट 7.2 प्रतिशत रही। बुधवार को यह जानकारी दी गई। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के दौरान जीडीपी की वृद्धि दर 6.5 फीसदी थी। विकास दर में बढ़ोतरी के पीछे कृषि, मैन्यूफैक्चरिंग, कंसट्रक्शन और कुछ सेवा क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन बताया जा रहा है।
रॉयटर्स पोल का ये था अनुमान
पिछले हफ्ते ही आए रॉयटर्स पोल में उम्मीद जताई गई थी कि अक्टूबर से दिसंबर तिमाही के बीच जीडीपी की रफ्तार 6.9 फीसदी रह सकती है। जीडीपी के आंकड़े पोल के अनुमान के काफी करीब रहे है। अब 31 मार्च को खत्म होने वाली चौथी तिमाही में विकास दर के 6.6 प्रतिशत रहने की संभावना जताई जा रही है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
जीडीपी के ताजा आंकड़ों पर पीएम के इकनॉमिक अडवाइजरी काउंसिल के चेयरमैन विवेक देबरॉय ने कहा, "देश की अर्थव्यवस्था सही रास्ते पर है। जीडीपी ग्रोथ रेट मे ताजा बढ़ोतरी सरकार के द्वारा शुरू किए गए रिफॉर्म्स का नतीजा है।"
ICICI में इकोनॉमिस्ट के पद पर कार्यरत अभिषेक उपाध्याय कहते हैं, "इस क्वॉर्टर में सरकारी खर्च काफी ज्यादा था, प्राइवेट कंजप्शन डिमांड में भी मजबूती देखी गई थी। नई डेटा में सीमेंट आउटपुट के बढ़ने से नोटबंदी की वजह से पिछड़े कंस्ट्रक्शन, रियल एस्टेट आदि सेक्टर्स के लिए अच्छी खबर है।"
गौरतलब है कि, पहली तिमाही में विकास दर के आंकड़े 13 तिमाही के निचले स्तर पर पहुंच गए थे और इसके लिए आर्थिक जानकारों ने नवंबर 2016 में नोटबंदी समेत बड़े आर्थिक उलटफेर को जिम्मेदार ठहराया था।
Created On :   28 Feb 2018 9:25 PM IST