शिक्षा, स्वास्थ्य बजट का दोगुना पैसा बैंकों ने बैड लोन में डुबोया, 3 लाख करोड़ NPA

- चार सालों में बैंकों ने रिकॉर्ड स्तर पर बांट दिए बैड लोन
- बांटे गए लोन की 14 प्रतिशत राशि ही हो पाई रिकवर
- महज 44 हजार 900 करोड़ रुपए की ही वसूली कर पाए बैंक
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जितने पैसे भारत शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा के लिए खर्च करता है, उससे ज्यादा के बैड लोन 4 साल के अंदर बैकों ने बांट दिए हैं। जानकारी सामने आने के बाद अब बैंकों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। बैड लोन में डाली गई रकम का सिर्फ 14 प्रतिशत ही बैंक 4 सालों के अंदर वसूल पाए हैं।
अप्रैल 2014 से अप्रैल 2018 तक 21 सरकारी बैंकों ने 3 लाख 16 हजार 500 करोड़ रुपए का कर्ज बट्टे खाते (राइट-ऑफ) में डाल दिया है। आरबीआई (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) से मिली जानकारी के मुताबिक इन 4 सालों में बैंकों ने 44 हजार 900 करोड़ रुपए की वसूली की। वसूली गए पैसे बट्टे खाते में डाली गई रकम के 14 फीसदी भी नहीं हैं। 2014 से 2018 के बीच जितने बैड लोन को बट्टे खाते में डाला गया है, वह वित्तीय वर्ष 18-19 के लिए सामाजिक सुरक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य के बजटीय खर्च (1.38 लाख करोड़) के दोगुने से ज्यादा है। चार सालों में बैंकों ने जितने पैसे बैड लोन में बांट दिए, वह 2014 तक की रकम से 166 प्रतिशत ज्यादा है।
कुल संपत्ति का 70 प्रतिशत 21 बैंकों के पास
केंद्रीय बैंक ने संसद की वित्तीय समिति के सामने एक सवाल के जवाब में डेटा पेश किया है। सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंक में वसूली दर मार्च 2018 के आखिर तक 14.5 प्रतिशत रही। यह निजी बैंकों की दर से 3 गुना ज्यादा रही, जो 5 प्रतिशत थी। बता दें कि 21 बैंकों के पास कुल बैंकिंग संपत्तियों का 70 प्रतिशत हिस्सा है। बैंकिंग सेक्टर के कुल एनपीए का 86 प्रतिशत बैड लोन इन बैकों से ही दिया गया है। बैंकिंग संकंट दूर करने के लिए सरकार तमाम तरह के दावे कर रही है, इसके बाद भी फंसी हुई संपत्तियां बढ़ती जा रही हैं। 2014 तक एनपीए में वृद्धि नहीं हो रही थी, इसमें 2015-16 के बाद काफी वृद्धि देखी गई।
तेजी से बढ़ रही बैंकों में बैड लोन की संख्या
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के 2014 में एसेट क्वालिटी रिव्यू शुरू करने के बाद ऐसा हुआ। इसमें बैंकों के कई कर्ज को एनपीए मान लिया गया। इन्हें बैंक इससे पहले तक मानक सम्पत्ति मानते थे। बट्टे खाते में 1.9 लाख करोड़ रुपए से थोड़ा कम बैड लोन 2004 से 2014 के बीच डाला गया। इसके उलट 2013 से 2015 के बीच ही 90 हजार करोड़ से भी ज्यादा का बैड लोन बट्टे खाते में डाल दिया गया। नपीए 2014-15 में 4.62 प्रतिशत था, जो 2015-16 में बढ़कर 7.79 प्रतिशत हो गया। वहीं 2017 के दिसंबर महीने तक यह 10.41 प्रतिशत तक पहुंच गया। बैकों का एनपीए सार्वजनिक क्षेत्र में 2017 तक 7.70 लाख करोड़ रुपए था। बैंकिंग सेक्टर के जानकार बताते हैं कि अपनी बैलेंस शीट सुधारने के लिए बैंक कर्ज को बट्टे खाते में डाल देते हैं।
Created On :   1 Oct 2018 2:22 PM IST