- महाराष्ट्र: ट्रक और ऑटोरिक्शा के बीच टक्कर में पांच लोगों की मौत, आठ अन्य घायल
- हेलीकॉप्टर दुर्घटना : फ्रांस के अरबपति राजनेता ओलिवियर डसॉल्ट की मौत, राष्ट्रपति ने जताया शोक
- स्विस मतदाताओं ने किया फैसला: देश में अब सार्वजनिक जगहों पर नहीं पहन सकेंगे बुर्का
- भर्ती परीक्षा पर्चा लीक मामला : सेना के एक अधिकारी गिरफ्तार, आज कोर्ट में होगी पेशी
- अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: आज टीकरी बॉर्डर पर बसंती चोले में नजर आएंगी 50 हजार महिलाएं
मसूर आयात शुल्क में कटौती से किसानों को वाजिब दाम मिलना मुश्किल

हाईलाइट
- मसूर आयात शुल्क में कटौती से किसानों को वाजिब दाम मिलना मुश्किल
नई दिल्ली, 5 जून (आईएएनएस)। किसानों को उनकी फसलों का उचित व वाजिब दाम दिलाने को प्रतिबद्ध केंद्र सरकार की नीति पर मसूर आयात शुल्क में कटौती को लेकर सवाल उठने लगे हैं। केंद्र सरकार ने मसूर पर आयात शुल्क 30 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया है, जिससे चना समेत अन्य दलहनों के दाम पर भी दबाव आ सकता है और किसानों को उनकी फसलों का वाजिब दाम दिलाना मुश्किल होगा।
दाल कारोबारी समेत बाजार विषेषज्ञों ने मसूर पर आयातशुल्क घटाने को लेकर सरकार की नीति पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि इस समय एकमात्र दलहन फसल मसूर है जिसका किसानों को अच्छा भाव मिल रहा है, लेकिन सरकार ने आयात शुल्क घटाकर उनके हितों की अनदेखी की है।
ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल का कहना है कि मसूर पर आयातशुल्क में कटौती करने का फैसला किसानों के हक में नहीं है, क्योंकि इससे चना के दाम पर भी दबाव आएगा। चना का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4875 रुपये है जबकि इस समय बाजार में चना 3800-4000 रुपये प्रतिक्विंटल बिक रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से चंद कारोबारियों को लाभ होगा जबकि देश के किसानों का नुकसान होगा।
मसूर का भाव इस समय देश के बाजारों में 5100-5300 रुपये प्रतिक्विंटल चल रहा है, जोकि मसूर के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4800 रुपये से 300-500 रुपये प्रतिक्विंटल अधिक है। मतलब, सिर्फ मसूर ही ऐसी दलहन फसल है जिसका किसानों को एमएसपी से ज्यादा भाव मिल रहा है। सरकार ने महज तीन महीने यानी 31 अगस्त तक के लिए मसूर पर आयात शुल्क में कटौती की है, जिसके कारण इस फैसले पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि भारत में मसूर पर आयातशुल्क में कटौती के साथ आस्ट्रेलिया और कनाडा में इसकी कीमतों में वृद्धि हो गई है।
दलहन बाजार के जानकार बताते हैं कि सरकार के इस फैसले से सिर्फ उन्हीं कारोबारियों को फायदा होगा जिनका माल पहले ही भारत के लिए रवाना हो चुका है और इस समय समुद्र में मालवाहक जहाज में है।
मुंबई के दलहन बाजार विशेषज्ञ अमित शुक्ला बताते हैं कि कनाडा से आने में कम से कम 45-55 दिन रास्ते में लगते हैं, इसलिए इस समय जो आयात के सौदे करेंगे उनको समय पर माल पहुंचने को लेकर संदेह बना रहेगा। शुक्ला कहते हैं कि सरकार को अपनी दलहन नीति में बदलाव नहीं करना चाहिए।
देश में दलहन व अनाज कारोबारियों का शीर्ष संगठन इंडिया पल्सेस एंड ग्रेंस एसोसिएशन (आईपीजीए) के अध्यक्ष जीतू भेरा ने आईएएनएस से बातचीत में सरकार के इस फैसले पर हैरानी जताई। उन्होंने कहा कि इस समय मसूर पर आयात शुल्क घटाने का कोई तुक नहीं था। उन्होंने भी कहा कि यह फैसला देश के किसानों के हक में नहीं है।
केंदरीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमाशुल्क बोर्ड की ओर से दो जून को जारी अधिसूचना के अनुसार, मसूर पर आयात शुल्क 30 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया गया है। इस अधिसूचना के बाद कनाडा में मसूर का भाव 600 डॉलर से बढ़कर गुरुवार को 680 डॉलर प्रति टन (सीएनएफ) हो गया। मतलब इस भाव पर भारत के पोर्ट पर मसूर पहुंचेगी।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से पिछले महीने जारी तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, देश में मसूर का उत्पादन 2019-20 में 14.4 लाख टन है जबकि 2018-19 में 12.3 लाख टन था। मतलब पिछले साल के मुकाबले इस साल उत्पादन ज्यादा है।
तीसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार, 2019-20 में सभी दलहनों का उत्पादन 230.1 लाख टन है जबकि पिछले साल 220.8 लाख टन था।
दलहन अनुसंधान से जुड़े एक वैज्ञानिक ने भी कहा कि किसानों को अच्छा भाव मिलता है तभी किसान किसी फसल को उगाने में दिलचस्पी लेता है। प्रमाण के तौर पर देखा जा चुका है कि 2015-16 में जब देश में दलहनों का उत्पादन घटने के कारण दाल की कीमतें आसमान छू गई थीं तो किसानों ने इसकी खेती में काफी दिलचस्पी ली और 2017-18 में उत्पादन 254.2 लाख टन तक पहुंचा गया जिससे भारत दलहनों के मामले में आत्मनिर्भर हो गया।
कमेंट करें
ये भी पढ़े
Real Estate: खरीदना चाहते हैं अपने सपनों का घर तो रखे इन बातों का ध्यान, भास्कर प्रॉपर्टी करेगा मदद

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
जानिए भास्कर प्रॉपर्टी के बारे में:
भास्कर प्रॉपर्टी ऑनलाइन रियल एस्टेट स्पेस में तेजी से आगे बढ़ने वाली कंपनी हैं, जो आपके सपनों के घर की तलाश को आसान बनाती है। एक बेहतर अनुभव देने और आपको फर्जी लिस्टिंग और अंतहीन साइट विजिट से मुक्त कराने के मकसद से ही इस प्लेटफॉर्म को डेवलप किया गया है। हमारी बेहतरीन टीम की रिसर्च और मेहनत से हमने कई सारे प्रॉपर्टी से जुड़े रिकॉर्ड को इकट्ठा किया है। आपकी सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाए गए इस प्लेटफॉर्म से आपके समय की भी बचत होगी। यहां आपको सभी रेंज की प्रॉपर्टी लिस्टिंग मिलेगी, खास तौर पर जबलपुर की प्रॉपर्टीज से जुड़ी लिस्टिंग्स। ऐसे में अगर आप जबलपुर में प्रॉपर्टी खरीदने का प्लान बना रहे हैं और सही और सटीक जानकारी चाहते हैं तो भास्कर प्रॉपर्टी की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।
ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।