खनन उद्योग को नौकरियों के सृजन के लिए प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप की आस

बेंगलुरू, 12 सितम्बर (आईएएनएस)। आर्थिक मंदी पर भारी निराशा के बीच खनन उद्योग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप की मांग की है। एक उद्योग निकाय के एक शीर्ष अधिकारी ने यह बातें कही।
फेडरेशन ऑफ इंडियन मिनरल इंडस्ट्रीज (फिमी) के महासचिव आर.के. शर्मा ने यहां आईएएनएस को बताया, सरकारी समर्थन और बहुत जरूरी सुधारों के साथ, खनन क्षेत्र में 50 लाख प्रत्यक्ष रोजगार और 5 करोड़ अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा करने की क्षमता है। यदि देश के समृद्ध खनिज संसाधनों को आयात की जगह पर घरेलू खपत के लिए समझदारी से उत्पादित किया जाता है, तो इससे कीमती विदेशी मुद्रा की बचत होती है।
हाल ही में मोदी को लिखे एक पत्र में, शर्मा ने कहा था कि आर्थिक विकास में हर 1 फीसदी की वृद्धि के लिए, खनन क्षेत्र कृषि की तुलना में 13 गुना अधिक रोजगार पैदा कर सकता है और निर्माण क्षेत्र की तुलना में 6 गुना अधिक रोजगार पैदा कर सकता है।
शर्मा ने यहां खनन क्षेत्र के एक सम्मेलन से इतर कहा, हालांकि, खनन क्षेत्र भी एक कठिन दौर से गुजर रहा है, इसलिए निजी क्षेत्र को तेजी से समृद्ध खनिज संसाधनों का दोहन करने की अनुमति मिलने पर लाखों रोजगार उत्पन्न करने की क्षमता है।
2024 तक सरकार के महत्वाकांक्षी लक्ष्य 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था को प्राप्त करने के लिए, प्रति वर्ष 8 फीसदी जीडीपी विकास दर के साथ, खनन सहित सभी मुख्य क्षेत्रों को अगले पांच वर्षो में लगातार अपना योगदान बढ़ाना होगा।
पत्र ने कहा, जिसकी एक प्रति आईएएनएस के साथ साझा की गई है, वित्त वर्ष 2012-13 में सकल घरेलू उत्पाद 5 फीसदी था, जो 2017-18 में बढ़कर 7 फीसदी हो गया, जबकि विभिन्न कारणों से इसी अवधि में खनिज क्षेत्र की वृद्धि दर 1.93 फीसदी से घटकर 1.53 फीसदी हो गई, जिसमें नियामक तंत्र की विफलता भी शामिल है।
शर्मा ने कहा कि भूवैज्ञानिक रूप से गोंडवाना भूमि का एक हिस्सा होने के नाते, भारत सोने, चांदी, प्लेटिनम और हीरे जैसे खनिजों से समृद्ध है, इसके अलावा आधार धातु जैसे एल्यूमीनियम, तांबा, सीसा, निकल, लोहा और जस्ता भी हैं।
शर्मा ने कहा, लंबे समय में आत्मनिर्भरता के लिए खनिज संपदा की खोज और उसे निकालने के बजाय, हम उनके घरेलू उत्पादन के मूल्य से सात गुना अधिक मूल्य पर आयात करने पर निर्भर हैं।
हालांकि भारत प्रचुर खनिज संसाधनों से संपन्न कुछ देशों में से है, लेकिन वित्त वर्ष 2017-18 में जीडीपी में इस क्षेत्र का योगदान 1.53 फीसदी था जबकि ऑस्ट्रेलिया में यह 7 फीसदी और दक्षिण अफ्रीका में 7.5 फीसदी था।
Created On :   12 Sept 2019 11:00 PM IST