मोदी सरकार का नया कानून आपके बचत खाते पर करेगा अटैक

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी कर पूरे देश की अर्थव्यवस्था को कुछ दिन के लिए हिला दिया था। अचानक हुई नोटबंदी से देश की 86 फीसदी मुद्रा को बंद कर दिया था और उसकी जगह नई करंसी शुरू की गई थी। इसे बाद साल 2017 में एक बार फिर देश की अर्थव्यवस्था में वन नेशन वन टैक्स को बढ़ावा देने के लिए गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) लागू किया गया। अब मोदी सरकार एक और नया कानून लाने जा रही है। जिससे बैंकिंग व्यवस्था में असर पड़ेगा। इस कानून के दायरे में वो हर ग्राहक आएगा जो बैंक के अपने बचत खाते में पैसा रखता है। दरअसल केन्द्र सरकार फाइनेंशियल रेजॉल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल (FRDI-बिल) 2017 को आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में पेश करेगी। संसद के दोनों सदनों में पुख्ता बहुमत के कारण ये बिल आसानी से पास होकर नया कानून भी बन जाएगा। इससे पहले इस बिल को केन्द्र सरकार ने मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश किया था और तब इसे ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी के पास सुझाव के लिए भेज दिया गया था। अब एक बार फिर केन्द्र सरकार ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी की सुझावों को देखते हुए नए बिल का प्रस्ताव संसद में पेश करेगी।
बैंक के दिवालिया होने की स्थिति में आपके बचत के पैसों को लगेगी चपत
केन्द्र सरकार के नए एफआरडीआई कानून से एक मौजूदा कानून डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन खत्म कर दिया जाएगा। मौजूदा समय में अलग-अलग बैंकों में जमा आपके पैसे की गारंटी इसी कानून से मिलती है। इस कानून में एक अहम प्रावधान है कि किसी भी बैंक की खराब स्थिति के बाद अगर उसे दिवालिया घोषित किया जाता है तो बैंक के ग्राहकों का एक लाख रुपए तक डिपॉजिट बैंक को वापस करना होगा। लिहाजा इसी कानून से देश की मौजूदा बैंकिंग व्यवस्था सबसे सुरक्षित और विश्वसनीय माना जाता है। फिलहाल किसी बैंक की वित्तीय स्थिति का आंकलन करने और उसे वित्तीय संकट से बाहर निकलने की सलान देने का काम रिजर्व बैंक करता था, लेकिन एफआरडीआई कानून पास करने के बाद नया रेजोल्यूशन कॉरपोरेशन इस काम को करने लगेगा।
अब बैंकों के एनपीए की समस्या तीव्र होने पर नया रेजोल्यूशन कॉरपोरेशन ये तय करेगा कि बैंक में ग्राहकों के डिपॉजिट किए गए पैसे में ग्राहक कितना पैसा निकाल सकता है और कितना पैसा बैंक को उसका एनपीए पाटने के लिए दिया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर मौजूदा समय में बैंक में सेविंग खाते में पड़े आपके एक लाख रुपए को आप जब चाहें और जितना चाहें निकाल सकते हैं, लेकिन नए कानून के बाद सरकार कॉरपोरेशन के जरिए तय करेगी कि आर्थिक संकट के समय में ग्राहकों को कितना पैसा निकालने की छूट दी जाए और उनकी बचत की कितनी रकम के जरिए बैंकों के कर्ज चकाने के लिए इस्तेमाल किया जाए।
Created On :   5 Dec 2017 1:05 PM IST