मोदी का नया कश्मीर मिशन, केसर की खेती से बढ़ेगी किसानों की आमदनी
नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। जम्मू-कश्मीर की ठंड आबोहवा में उगाए जाने वाली फसल केसर की खेती से अब वादियों में बसने वाले किसानों की किस्मत बदलेगी, क्योंकि मोदी सरकार केसर की पैदावार बढ़ाकर किसानों को लखपति बनाने की दिशा में मिशन मोड में काम कर रही है। सरकार ने केशर की पैदावार अगले कुछ सालों में बढ़ाकर दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। कृषि वैज्ञानिकों की माने तो एक हेक्टेयर में केसर की खेती से किसान साल में 24-27 लाख रुपये कमा सकते हैं।
कुदरती आबोहवा को लेकर दुनिया में सरजमीं पर जन्नत के नाम से मशहूर कश्मीर की दशा सुधारकर प्रदेश को नई दिशा देने की योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले ही कार्यकाल में बुनी थी, जब उन्होंने अपने एक दौरे के दौरान केसर क्रांति लाने का आह्वान किया था।
इसके तुरंत बाद जम्मू-कश्मीर सरकार के साथ मिलकर स्पाइसेज बोर्ड ने प्रदेश की राजधानी श्रीनगर में केसर उत्पादन व निर्यात विकास एजेंसी यानी एसपीईडीए बनाने की योजना तैयार की।
कश्मीर में कृषि विभाग के निदेशक अल्ताफ एजाज अंद्राबी ने आईएएनएस से कहा, भारत में केसर की खेती सिर्फ जम्मू-कश्मीर में होती है, जिसको लेकर प्रदेश की दुनिया में खास पहचान है। कश्मीरी केसर के मुरीद पूरी दुनिया में हैं। इंग्लैंड, अमेरिका, मध्य-पूर्व के देशों सहित पूरी दुनिया में भारत केसर का निर्यात करता है और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत देसी करेंसी के रूप में देखें तो करीब पांच लाख रुपये प्रति किलोग्राम है, जबकि देसी बाजार में तीन लाख रुपये प्रति किलोग्राम।
उन्होंने बताया कि इस समय केसर की पैदावार दो किलोग्राम से लेकर 4.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है, लेकिन एकीकृत खेती के जरिए इसे बढ़ावा देने से इसकी पैदावार बढ़ाकर आठ-नौ किलोग्राम प्रति हेक्टेयर किया जा सकता है।
कश्मीर को गोल्डन स्पाइस कहा जाता है और अंद्राबी के अनुसार, दुनिया में जम्मू-कश्मीर का केसर क्वालिटी के मामले में सर्वोत्तम माना जाता है और उत्पादन के लिहाज से भी भारत ईरान के बाद दुनिया में दूसरे नंबर पर है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जिस तरह से केसर की खेती को बढ़ावा दे रही है, उससे आने वाले कुछ साल में भारत में केसर का उत्पादन 17 टन से बढ़कर 34 लाख टन हो सकता है और वह दिन दूर नहीं कि भारत ईरान को पीछे छोड़ दुनिया में केसर का सबसे बड़ा उत्पादक बन जाएगा।
अंद्राबी ने बताया कि प्रदेश के करीब 32000 किसान परिवार केसर की खेती से जुड़े हैं और 3700 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में इसकी खेती हो रही है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (पूसा, नई दिल्ली) के प्रधान वैज्ञानिक (बागवानी) विक्रमादित्य पांडेय ने बताया कि केसर क्रांति लाने के लिए राष्ट्रीय केसर मिशन शुरू किया गया, जिसमें केंद्रीय शीतोष्ण बागवानी अनुसंधान संस्थान अहम भूमिका विभाग रहा है। संस्थान की ओर से जम्मू-कश्मीर में केसर की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहन देने और पैदावार बढ़ाने के लिए एकीकृत उत्पादन प्रणाली अपनाई गई है, जिसमें टपक सिंचाई काफी कारगर साबित हो रही है।
उन्होंने बताया कि यह न सिर्फ उत्पादन बढ़ाने में कारगर है, बल्कि इससे ऊर्वरक के उपयोग में 25-30 फीसदी की कमी और पानी की एक-तिहाई बचत होती है।
केसर की खेती जम्मू-कश्मीर के चार जिलों -पुलवामा, बडगाम, श्रीनगर और किश्तवाड़ में होती है।
Created On :   22 Oct 2019 6:00 PM IST